विदेश व्यापार, खासकर आयात में बढ़ोतरी की वजह से सितंबर, 2021 को समाप्त दूसरी तिमाही में भारत का चालू खाते का घाटा 9.3 अरब डॉलर (सकल घरेलू उत्पाद-जीडीपी का 1.3 प्रतिशत) हो गया है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा है कि जून 2021 को समाप्त पहली तिमाही में चालू खाते का अधिशेष 6.6 अरब डॉलर (जीडीपी का 0.9 प्रतिशत) था।
रिजर्व बैंक ने कहा कि वित्त वर्ष 22 की दूसरी तिमाही में चालू खाते का घाटा मुख्य रूप से व्यापार घाटा बढ़कर 44.4 अरब डॉलर होने की वजह से है, जो इसके पहले की तिमाही में 30.7 अरब डॉलर था। इसके अलावा निवेश से आमदनी के प्रवाह में वृद्धि हुई है।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि वित्त वर्ष 2022 की दूसरी तिमाही में चालू खाते का घाटा हमारी उम्मीद से कुछ कम है। अक्टूबर-नवंबर 2021 के दौरान वाणिज्यक व्यापार का घाटा बहुत ज्यादा था। चालू खाते का घाटा वित्त वर्ष 22 की तीसरी तिमाही में 25 अरब डॉलर से ऊपर रहने की संभावना है। वहीं पूरे साल (वित्त वर्ष 22) में सीएडी 40-45 अरब डॉलर या जीडीपी का 1.4 प्रतिशत रह सकता है।
सेवा से शुद्ध प्राप्तियों में वित्त वर्ष 22 की दूसरी तिमाही में पहली तिमाही की तुलना में मामूली गिरावट आई वहीं पिछले साल की तुलना में इसमें बढ़ोतरी हुई है। कंप्यूटर और बिजनेस सेवाओं के निर्यात का प्रदर्शन बेहतर रहने की वजह से ऐसा हुआ है।
निजी क्षेत्र की प्राप्तियां खासकर विदेश में काम कर रहे भारतीयों द्वारा भेजा जाने वाला धन 21.1 अरब डॉलर रहा है, जिसमें एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 3.7 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।
वित्त वर्ष 2022 की दूसरी तिमाही में भुगतान संतुलन (बीओपी) में 31.2 अरब डॉलर की वृद्धि हुई है, जिसमें 23 अगस्त, 2021 को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा की गई 17.86 करोड़ रुपये की स्पेशल ड्राइंग राइट्स (एसडीआर) आवंटन भी शामिल है।
अप्रैल सितंबर, 2021 (वित्त वर्ष 22 की पहली छमाही) में देश का चालू खाते का घाटा जीडीपी का 0.2 प्रतिशत रहा है, जबकि वित्त वर्ष 21 की पहली छमाही में 3 प्रतिशत अधिशेष था। व्यापार घाटे में तेज बढ़ोतरी के कारण ऐसा हुआ है।
शुद्ध अदृश्य प्राप्तियां वित्त वर्ष 22 की दूसरी तिमाही में ज्यादा रही हैं। इसकी वजह सेवाओं और निजी हस्तांतरण ज्यादा शुद्ध प्राप्तियां हैं।