वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत का चालू खाते का घाटा (सीएडी) बढ़कर 9.8 अरब डॉलर हो गया है, जो सकल घरेलू उत्पाद का 1.1 प्रतिशत है।
जनवरी-मार्च 2024 (वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही) के दौरान चालू खाते का संतुलन 4.6 अरब डॉलर अधिशेष की स्थिति में था, जो जीडीपी का 0.5 प्रतिशत है। वहीं एक साल पहले की समान अवधि में चालू खाते का घाटा 8.9 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 1 प्रतिशत था।
रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि सालाना आधार पर चालू खाते का घाटा बढ़ने की प्राथमिक वजह वस्तु व्यापार में वृद्धि है। वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में वस्तु व्यापार बढ़कर 65.1 अरब डॉलर हो गया, जो वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में 56.7 अरब डॉलर था।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही के दौरान चालू खाते का घाटा बढ़ा है, लेकिन द्वितीयक आय के कारण यह हमारे अनुमान से कम है।