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महंगे तेल से बढ़ेगा चालू खाते का घाटा

Last Updated- December 11, 2022 | 9:05 PM IST

रूस-यूक्रेन तनाव के बीच वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल के पास पहुंचने के बावजूद विधानसभा चुनावों के मद्देनजर सरकार देश में पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ा रही है। हालांकि 10 मार्च को मतगणना के बाद तेल विपणन कंपनियां इनके दाम बढ़ा सकती है या सरकार ईंधन पर एक बार फिर उत्पाद शुल्क घटाकर बढ़ोतरी को कुछ हद तक टाल या कम कर सकती है।
कच्चे तेल के दाम में तेजी से देश का चालू खाते का घाटा अगले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 फीसदी हो सकता है, जिसका 2020-21 में 1 से 1.5 फीसदी रहने का अनुमान है। हालांकि चालू खाते का घाटा बढऩे के बावजूद संकट की स्थिति नहीं होगी क्योंकि देश का विदेशी मुद्रा भंडार काफी ज्यादा है। 11 फरवरी को देश के पास 630 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था और यूक्रेन संकट शुरू होने के बाद से इसमें थोड़ी कमी आई है। कोविड लॉकडाउन के कारण देश का चालू खाता अधिशेष 2020-21 के दौरान जीडीपी का 0.9 फीसदी था।  इसके साथ ही कच्चे तेल के दाम में तेजी से केंद्र के राजकोषीय घाटे पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि पेट्रोलियम सब्सिडी अब गरीब परिवारों के लिए गैस सिलिंडर तक ही सीमित रह गई है।    
वित्त वर्ष 2023 के लिए रसोई गैस सिलिंडर पर 5,812 करोड़ रुपये सब्सिडी का प्रावधान किया गया है, जबकि चालू वित्त वर्ष में यह 6,517 करोड़ रुपये था। हालांकि उत्पाद शुल्क में कटौती से घाटा कुछ बढ़ सकता है, जिससे खजाने पर थोड़ा बोझ बढ़ेगा।
रूस में एक्सॉन और बीपी जैसी कंपनियों की मौजूदगी से रूस में भारत के निवेश पर संकट शायद न हो। उद्योग के एक सूत्र ने कहा कि भारतीय कंपनियों ने अमेरिका की तेल एवं गैस संपत्तियों में करीब 13 अरब डॉलर का निवेश किया है। अगर पाबंदी लगाई जाती है तो ओएनजीसी विदेश, इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और ऑयल इंडिया की संपत्तियों से मिलने वाला लाभांश प्रभावित हो सकता है।
तेल कंपनियों ने केंद्र द्वारा डीजल पर 10 रुपये और पेट्रोल पर 5 रुपये उत्पाद शुल्क की कटौती के बाद 4 नवंबर से प्रमुख महानगरों में पेट्रोल एवं डीजल के दाम नहीं बढ़ाए हैं। हालांकि दिल्ली में 2 दिसंबर को पेट्रोल के दाम में थोड़ा बदलाव हुआ था। उस समय मुंबई, चेन्नई और कोलकाता में पेट्रोल 100 रुपये लीटर के पार पहुंच गया था। डीजल के दाम ज्यादातर महानगरों में 100 रुपये प्रति लीटर से कम थे।
बीपीसीएल में निदेशक (वित्त) वत्स रामकृष्ण गुप्ता ने कहा, ‘हम कुछ दिन और इंतजार करेंगे और देखेंगे कि कंपनी पर इसका कोई स्पष्ट प्रभाव पड़ रहा है या नहीं। आज हमारा क्रूड बास्केट 25 देशों में फैला है और रूस से आपूर्ति प्रभावित होने के बावजूद हमें आपूर्ति की कोई दिक्कत नहीं होगी। मार्केटिंग के लिहाज से देखें तो कच्चा तेल 100 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंचने पर पेट्रोल-डीजल के खुदरा दाम पर दबाव बढ़ेगा।’
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि भारत के वृहद आर्थिक हालात पर यूक्रेन तनाव का प्राथमिक असर मुद्रास्फीति और चालू खाते के घाटे पर होगा। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति पर प्रभाव इस पर निर्भर करेगा कि पेट्रोल-डीजल पर दाम कब और कितने बढ़ते हैं और उत्पाद शुल्क में कटौती होती है या नहीं। नायर ने कहा कि मुद्रास्फीति में नरमी मौद्रिक नीति समिति के अनुमान के अनुसार तेजी से शायद नहीं आएगी।
मौद्रिक नीति समिति ने 2022-23 में खुदरा मुद्रास्फीति 4.3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। अप्रैल-जनवरी 2021-22 में मुद्रास्फीति दर 5.3 फीसदी रही है। हालांकि इस साल जनवरी में यह 6.01 फीसदी पहुंच गई और 10 मार्च के बाद पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़े तो इसमें और तेजी आ सकती है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि कच्चे तेल के वैश्विक दाम अगर 110 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचते हैं तो खुदरा मुद्रास्फीति पर 0.15 फीसदी का असर पड़ेगा। हालांकि खाद्य पदार्थों की महंगाई से इसका असर 0.3 से 0.5 फीसदी तक हो सकता है।
उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार अगर कच्चा तेल मौजूदा स्तर पर रहता है तो प्रमुख चिंता तेल आयात बिल बढऩे की है। उनके अनुसार 2022-23 में भारत का आयात बिल बढ़ सकता है।
चालू वित्त वर्ष के पहले दस महीनों में देश ने 130.22 अरब डॉलर मूल्य के तेल का आयात किया, जो एक साल पहले के 63.38 अरब डॉलर के दोगुने से भी अधिक है। हालांकि इस दौरान 48.04 अरब डॉलर मूल्य के रिफाइनरी उत्पादों का निर्यात भी किया गया है, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में करीब तीन गुना है।
नायर ने कहा कि अगर भारतीय क्रूड बास्केट का औसत भाव वित्त वर्ष 2023 में 100 डॉलर प्रति बैरल रहता है तो चालू खाते का घाटा जीडीपी के 2.3 से 2.5 फीसदी बढ़ सकता है। निचले दायरे में यह 1 से 1.5 फीसदी बढ़ सकता है। रूस पर प्रतिबंध लगाए जाने से तरलीकृत प्राकृतिक गैस के दाम भी बढ़ सकते हैं। हालांकि भारत ने दीर्घावधि के एलएनजी सौदे किए हैं, जिसका उसे लाभ मिलेगा।

First Published - February 23, 2022 | 10:54 PM IST

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