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चालू खाते के घाटे में गिरावट !

Last Updated- December 11, 2022 | 6:31 PM IST

भारत का चालू खाते का घाटा (सीएडी) वित्त वर्ष 22 की मार्च तिमाही में कम होने की संभावना है। दिसंबर तिमाही में यह 13 तिमाही के उच्च स्तर पर पहुंच गया था।
मंगलवार को जारी हाल के जीडीपी के आंकड़ों से पता चलता है कि शुद्ध निर्यात मार्च तिमाही में घटकर जीडीपी का 2.9 प्रतिशत रह गया है, जो दिसंबर तिमाही में जीडीपी का 3.9 प्रतिशत था। इसे सीएडी का प्रतिरूप माना जाता है।
भारत का शुद्ध निर्यात हमेशा ऋणात्मक रहता है क्योंकि निर्यात को आयात पीछे छोड़ देता है। आनंद राठी की एक शोध रिपोर्ट के मुताबिक, ‘औसतन शुद्ध निर्यात भारत की जीडीपी वृद्धि को 3 प्रतिशत अंक नीचे ढकेल देता है। बहरहाल वित्त वर्ष 22 में इसने जीडीपी वृद्धि 5 प्रतिशत अंक घटा दी। लेकिन शुद्ध निर्यात के हिसाब से देखें तो भारत वित्त वर्ष 22 में दो अंकों की जीडीपी वृद्धि दर्ज करा सकता है।’
जीडीपी के आंकड़ों में शुद्ध निर्यात में आयात और निर्यात के बीच अंतर को शामिल किया जाता है, जिसमें वस्तुएं व सेवाएं दोनों शामिल होती हैं।  भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से जारी सीएडी के आंकड़ों में निजी ट्रांसफर प्राप्तियां भी शामिल होती हैं। इसमें मुख्य रूप से विदेश में काम करने वाले भारतीयों द्वारा भेजा जाने वाला धन भी शुद्ध निर्यात के साथ शामिल होता है।
दिसंबर तिमाही में भारत का सीएडी 2.7 प्रतिशत रहा, जो सितंबर तिमाही में 1.3 प्रतिशत था।
रिसर्च फर्म क्वांटइको में अर्थशास्त्री विवेक कुमार ने कहा, ‘चौथी तिमाही में शुद्ध निर्यात का अनुपात सुधरा है। यह चालू खाते के घाटे में कुछ कमी के रूप में दिख सकता है। यह वित्त वर्ष 22 की चौथी तिमाही में जीडीपी का 1.9 प्रतिशत रह सकता है, जो तीसरी तिमाही में 2.7 प्रतिशत था।  यह चौथी तिमाही में मासिक व्यापार घाटे के और सेवा कारोबार में हाल के सुधारों के अनुरूप है। आगे चलकर हम उम्मीद कर रहे हैं कि वित्त वर्ष 23 में सीएडी बढ़कर 85 अरब डॉलर हो सकता है।’ भारत के वाह्य क्षेत्र को लगातार वैश्विक वजहों का जोखिम बना हुआ है। इसमें रूस यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध, कच्चे तेल सहित जिंसों के बढ़ते दाम और वैश्विक रूप से बढ़ती महंगाई को देखते हुए मौद्रिक नीति को सामान्य किया जाना शामिल है। इसके साथ ही चीन में कोविड-19 की स्थिति के कारण आपूर्ति संबंधी व्यवधान आया है  क्योंकि आवाजाही पर तमाम प्रतिबंध लगे हैं। इसकी वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि और कीमतों पर दबाव बढ़ा है।
पिछले महीने बगैर योजना वाले नीतिगत फैसले में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि बाधाओं के बावजूद भारत का वाह्य क्षेत्र लचीला बना हुआ है। उन्होंने कहा, ‘बड़ी सूचना तकनीक (आईटी) कंपनियों की राजस्व की मजबूत स्थिति से भी 2022-23 के कुल मिलाकर बाहरी क्षेत्र की बेहतर स्थिति के संकेत मिलते हैं। जिंसों के ज्यादा दाम की वजह से व्यापार पर पड़ने वाले असर से चालू खाते का घाटा प्रभावित हो सकता है, लेकिन इसके आराम से प्रबंधन की उम्मीद है।’ कोटक महिंद्रा बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा कि विदेशी क्षेत्र का संतुलन वित्त वर्ष 23 में बढ़कर ऋणात्मक रहने की संभावना है। उन्होंने कहा, ‘वित्त वर्ष 23 में व्यापार घाटा बढ़कर 230 से 250 अरब डॉलर के व्यापक स्तर पर रह सकता है, जो वित्त वर्ष 22 में 193 अरब डॉलर था। कमजोर वैश्विक मांग का निर्यात पर असर पड़ेगा, वहीं जिंसों के बढ़े दाम से आयात का बिल बढ़ेगा।’ उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि वित्त वर्ष 23 में सीएडी करीब 105 अरब डॉलर (जीडीपी का 3 प्रतिशत) कच्चे तेल की कीमत का औसत 105 डॉलर प्रति बैरल के आसपास रहता है।

First Published - June 2, 2022 | 1:23 AM IST

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