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तेज होगी विनिवेश की प्रक्रिया

Last Updated- December 12, 2022 | 2:56 AM IST

नरेंद्र मोदी सरकार ने सार्वजनिक उद्यम विभाग (डीपीई) को वित्त मंत्रालय के अधीन करने का फैसला किया है। इस कदम से सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पीएसयू) पर नियंत्रण बेहतर होने और निजीकरण के प्रस्तावों को तेजी से लागू करने में मदद मिलने की संभावना है। 

मंत्रिपरिषद मेंं नए सदस्यों को शामिल किए जाने के पहले कैबिनेट सचिवालय ने भारत सरकार (कारोबार का आवंटन) नियम, 1961 में बदलाव अधिसूचित किया, जिससे डीपीई को प्रभावी तरीके से भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय से हटाकर वित्त मंत्रालय के तहत लाया जा सके।

डीपीई सार्वजनिक उपक्रमों के प्रदर्शन की निगरानी और मूल्यांकन का काम करता है। यह लाभांश भुगतान का लक्ष्य, पूंजीगत प्रदर्शन, कर्मचारियों के भुगतान का पैकेज आदि के बारे में फैसले करता है। विभाग को पीएसयू के प्रदर्शन में सुधार के कदम उठाने और क्षमता बनाने की पहल का भी काम सौंपा गया है। 

मार्च, 2021 में बिजनेस स्टैंडर्ड ने खबर दी थी कि आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) ने निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) को पत्र लिखा था कि डीईपी को वित्त मंत्रालय के तहत लाए जाने के विकल्प पर विचार किया जाना चाहिएस जिसमें डीपीई और दीपम के कुछ कामों के ओवरलैप का मसला उठाया गया था। 

यह बदलाव इसलिए किए जा रहे हैं कि सरकार रणनीतिक क्षेत्रों के सार्वजनिक उद्यमों में मामूली मौजूदगी और शेष का निजीकरण व कुछ इकाइयों को बंद करना चाहती है। 

डॉ बीआर अंबेडकर स्कूल आफ इकोनॉमिक्स (बीएएसई) यूनिवर्सिटी, बेंगलूरु के कुलपति एनआर भानुमूर्ति ने कहा कि इस कदम से लंबित विनिवेश की प्रक्रिया तेज होगी और नई निजीकरण नीति को लागू करने के बारे में फैसले लेने की स्थिति में सुधार होगा। इससे डीपीई और दीपम के बीच बेहतर तालमेल हो सकेगा और निजीकरण की नीति को बेहतर तरीके से लागू किया जा सकेगा। 

उन्होंने कहा, ‘यह सरकार के न्यूनतम सरकार और अधिकतम प्रशासन के लक्ष्य के भी अनुरूप है।’ 

बीओबी कैपिटल मार्केट्स के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट अंकुर वहल ने कहा कि सरकार पीएसयू के निजीकरण पर विचार कर रही है, ऐसे में स्वतंत्र विभाग के रूप से डीपीई की भूमिका बेमानी है। उन्होंने कहा, ‘वित्त मंत्रालय के अधीन डीपीई को लाने से सेवानिवृत्ति के बाद के लाभों के  प्रबंधन में मदद मिलेगी, जो पीएसयू के कर्मचारियों को मिलता है। साथ ही निजीकरण के पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की योजना आकर्षक बन सकेगी।’ 

भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय को भारी उद्योग मंत्रालय में बदला जाएगा और इससे करीब 35 पीएसयू और उनकी सहायक इकाइयां मंत्रालय के तहत बनी रहेंगी। इन 36 कंपनियों में हैवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड, खनन एवं संबंधित मशीनरी कॉर्पोरेशन लिमिटेड, इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स (इंडिया) लिमिटेड, भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, एचएमटी बियरिंग लिमिटेड, स्कूटर्स इंडिया लिमिटेड, एंड्यू येल ऐंड कंपनी लिमिटेड और भारत ऑप्थालमिक ग्लास लिमिटेड व अन्य शामिल हैं। 

ब्रेस्कॉन ऐंड एलायड पार्टनर्स एलएलपी के मैनेजिंग पार्टनर निर्मल गंगवाल ने कहा कि सरकार का राजस्व सिर्फ कर संग्रह से नहीं बढ़ाया जा सकता है, अब सरकार का ध्यान पीएसयू द्वारा संचित संपत्ति का मुद्रीकरण करने पर होना चाहिए। सरकारी कंपनियों की अर्थव्यवस्था के विकास में अहम भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि इससे वित्त मंत्रालय पर यह अहम दायित्व है कि वह निजीकरण की कवायद के दौरान इनका बेहतर मूल्य हासिल कर सके।

First Published - July 7, 2021 | 11:53 PM IST

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