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विवाद निपटारा निकाय पर विचार

Last Updated- December 14, 2022 | 11:15 PM IST

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) मुआवजे के लिए केंद्र द्वारा पेश किए गए दोनों विकल्पों को नकारते हुए असंतुष्ट राज्य सोमवार को आगामी जीएसटी परिषद की बैठक में विवाद समाधान प्राधिकरण की स्थापना के लिए वर्ष 2011 के संविधान संशोधन विधेयक में शामिल एक प्रतिरूप पर दबाव बना सकते हैं। इस विधेयक में तीन सदस्यों वाले विवाद समाधान निकाय के गठन का मॉडल था।
केंद्र के प्रस्तावित दो विकल्पों में से कम से कम 21 राज्यों द्वारा ऋण लेने का विकल्प चुने जाने से विरोध करने वाले राज्यों के लिए संभवत: मतदान का महत्त्व नहीं रह जाएगा।
विवाद समाधान का स्वरूप किसी निकाय के रूप में किया जा सकता है जिसका नेतृत्व सर्वोच्च न्यायालय के किसी पूर्व न्यायधीश या उच्च न्यायालय के किसी पूर्व मुख्य न्यायाधीश कर सकते हैं। अन्य दो सदस्य परिषद द्वारा चुने गए प्रतिष्ठित व्यक्ति हो सकते हैं।
पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि वे तत्काल आधार पर विवाद समाधान व्यवस्था की सक्रियता और राज्यों के बीच परिषद के वाइस-चेयरमैन के चयन के लिए तत्पर रहेंगे।
बादल ने कहा कि किसी अच्छी संघीय राजनीतिक प्रणाली में इस प्रकार के विवाद उत्पन्न होना तय बात है। लेकिन बैठक से पहले केंद्र यह कैसे कह सकता है कि उनके पास 21 वोट हैं और हमारे पास केवल 10 वोट हैं।
उन्होंने आगे कहा कि पंजाब यह कहने का प्रयास कर रहा है कि इस विवाद समाधान व्यवस्था को सक्रिय किया जाए। हम चाहते हैं कि इस विवाद को विवाद उस समाधान व्यवस्था के तहत निपटाया जाए जो इस अधिनियम में प्रदान किया गया है।
उन्होंने कहा कि इसकी संरचना तीन सदस्यों वाले निकाय के रूप में हो सकती है जिसकी अध्यक्षता सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश द्वारा की जा सकती है, जबकि अन्य दो सदस्य प्रतिष्ठित विशेषज्ञ हो सकते हैं। जिनमें से एक व्यक्ति केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाला हो और दूसरा राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाला हो।
संविधान संशोधन अधिनियम 101 के तहत यह व्यवस्था उपलब्ध कराई गई है कि जीएसटी परिषद किसी ऐसे मामले में जिसमे केंद्र सरकार और एक या अधिक राज्यों के बीच, किसी ऐसे मामले में जिसमें एक ओर केंद्र और कोई एक या अधिक राज्य हों और दूसरी ओर एक या कई राज्य हों, तथा दो या अधिक राज्यों के बीच किसी भी विवाद का निर्णय कराने के लिए एक व्यवस्था स्थापित करेगी। हालांकि इसमें विवाद समाधान निकाय की संरचना की रूपरेखा का वर्णन नहीं किया गया है जिससे इसके परिचालन की प्रक्रिया अधिक समय लेने वाली हो जाती है।
केरल के वित्त मंत्री थॉमस आइजक ने कुछ समय पहले इस समाचार पत्र से कहा था कि वे इस अंतरिम अवधि में कोई प्रस्ताव स्वीकार कर सकते हैं और इस विवाद समाधान व्यवस्था के अंतर्गत कुछ मसलों की पड़ताल कराई है जिसे संचालित कराने में कुछ समय लग सकता है।

First Published - October 2, 2020 | 11:25 PM IST

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