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अप्रैल में कम बने ई-वे बिल!

Last Updated- December 12, 2022 | 5:12 AM IST

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के ई-वे बिल बनने को आर्थिक गतिविधियों में तेजी का अहम संकेतक माना जाता है। मगर अप्रैल के महीने में शायद काफी कम बिल बने हैं। कोविड-19 संक्रमण रोकने के लिए देश के ज्यादा से ज्यादा शहरों में लॉकडाउन तथा पाबंदियों के कारण अप्रैल में ई-वे बिल की संख्या पिछले पांच महीनों में सबसे कम रह सकती है।

अप्रैल में बनने वाले ई-वे बिल की संख्या 5.5 से 5.8 करोड़ ही रह जाने के आसार हैं, जो पिछले साल नवंबर के बाद से सबसे कम संख्या है। मार्च के मुकाबले इनमें करीब 17 फीसदी कमी आएगी। इससे देश में आर्थिक गतिविधियों में तेज गिरावट के संकेत मिलते हैं। अप्रैल में कम ई-वे बिल बनने का असर मई के जीएसटी संग्रह पर भी पड़ेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि मई में जीएसटी संग्रह में करीब 20 फीसदी की गिरावट आ सकती है।

जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) के आंकड़ों के अनुसार उसके पोर्टल पर 25 अप्रैल तक केवल 4.89 करोड़ ई-वे बिल बनाए गए यानी रोजाना औसतन 19.5 लाख ई-वे बिल बने, जबकि मार्च में रोजाना औसतन 22.9 लाख ई-वे बिल बनाए गए थे। मार्च में कुल 7.12 करोड़ ई-वे बिल बने थे, जिनके कारण अप्रैल में रिकॉर्ड 1.41 लाख करोड़ रुपये का जीएसटी संग्रह हुआ। फरवरी में भी प्रतिदिन औसतन 22.8 लाख ई-वे बिल बने। 50,000 रुपये से अधिक के माल की आवाजाही के लिए ई-वे बिल अनिवार्य है, इसलिए इससे अर्थव्यवस्था में मांग और आपूर्ति का पता चलता है। पिछले साल अगस्त में 4.94 करोड़ ई-वे बिल बने यानी रोजाना औसतन 15.9 लाख बिल बनाए गए। पिछले साल लॉकडाउन हटाए जाने के बाद सितंबर से अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिखने शुरू हुए थे। अक्टूबर से जीएसटी संग्रह 1 लाख करोड़ रुपये के पार ही रहा है। केपीएमजी में पार्टनर हरप्रीत सिंह ने कहा, ‘मई में जीएसटी संग्रह 1 लाख करोड़ रुपये से कम रह सकता है, जो आंकड़ा पिछले कई महीनों से बरकरार था।

साथ ही जीएसटी दाखिल करने में विलंब शुल्क माफी और ब्याज दर कटौती की हालिया घोषणा से कई कारोबारी मई में भुगतान रोक सकते हैं, जिससे आने वाले महीनों में कर राजस्व घट सकता है।’ दिल्ली, मुंबई और हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा कर्नाटक के प्रमुख शहरों में लॉकडाउन होने से वस्तुओं की आपूर्ति पर असर पड़ा है। डेलॉयट इंडिया में वरिष्ठ निदेशक एमएस मणि ने कहा कि मार्च में माल की तेज आवाजाही के कारण अप्रैल में अब तक का सबसे ज्यादा जीएसटी संग्रह हुआ था। मगर पिछले महीने आर्थिक गतिविधियां नरम रहने से आगे इसमें कमी आ सकती है। उन्होंने कहा कि आतिथ्य, मनोरंजन और विमानन जैसे प्रमुख सेवा क्षेत्रों के कारोबार में भारी गिरावट आई है और ई-वे बिल भी कम बने हैं, जिससे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्घि पर असर पड़ सकता है।

एएमआरजी एसोसिएट्स में पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि कई राज्यों में सप्ताहांत लॉकडाउन, रात्रि कफ्र्यू आदि से आपूर्ति शृंखला को झटका लगा है और आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ रहा है। मोहन ने कहा कि मई में कर संग्रह में कमी आएगी और यह पिछले साल अगस्त के स्तर तक फिसल सकता है।

कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए कई एजेंसियों ने देश के जीडीपी की वृद्घि दर का अनुमान भी घटाया है। सिटी ने वित्त वर्ष 2022 के लिए जीडीपी अनुमान को 50 आधार अंक घटाकर 12 फीसदी कर दिया है और 50 आधार  अंक की कटौती और भी किए जाने की चेतावनी दी है। भारतीय स्टेट बैंक ने भी अपने अनुमान में 60 आधार अंक की कटौती की है।

First Published - May 4, 2021 | 12:08 AM IST

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