कंपनियों के लिए विदेशों से वाणिज्य ऋण (ईसीबी) जुटाने की शर्तों में इस माह के अंत तक कुछ और ढील देने की योजना बनायी जा रही है।
इस फैसले से वैश्विक वित्तीय संकट के दौर में बुनियादी ढांचा और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं को विदेश से धन जुटाने में आसानी होगी।
यह कवायद उस समय शुरू की गई है, जबकि घरेलू बाजारों में बुनियादी ढांचा कंपनियों और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों को ऊंची ब्याज दरों के कारण कर्ज की उगाही में खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मौजूदा समय में दोनों ही क्षेत्रों को ईसीबी नियम के तहत विदेशों से धन जुटाने की अनुमति नहीं है।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष के सलाहकार गजेंद्र हल्दिया ने कहा कि बुनियादी ढांचा क्षेत्रों के साथ-साथ अन्य कंपनियों को भी ईसीबी नियमों में ढील दी जाने की तैयारी चल रही है। उम्मीद है कि इस साल के अंत तक ईसीबी नीतियां और उदार होंगी।
उन्होंने बताया कि विदेशी ऋण मानदंडों में ढील के बावजूद संसाधनों में कमी के कारण कंपनियों को विदेश में फंड जुटाने में मुश्किल हो रही है। यही वजह है कि सरकार ईसीबी नियमों में और ढील देने पर विचार कर रही है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय कंपनियों को धन जुटाने के लिए और तरलता मुहैया कराने के लिए आरबीआई ने अक्टूबर में ईसीबी के मानदंडों में ढील दी थी। इसके तहत कंपनियों को ईसीबी नियमों के तहत हर वित्तीय वर्ष में 50 करोड़ डॉलर जुटाने की अनुमति दी गई थी।
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि मंदी से निबटने के लिए गठित सचिवों की समिति में ईसीबी नियमों में प्रस्तावित ढील से संबंधित सुझाव को अंतिम रूप दे दिया है।