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सार्वजनिक खर्च में तेजी का असर दिखना बाकी

Last Updated- December 12, 2022 | 8:36 AM IST

केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2022 में इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में सार्वजनिक खर्च में तेजी की घोषणा की है। सरकार द्वारा पूंजीगत खर्च में वृद्घि का असर हालांकि अभी निर्माण, इंजीनियरिंग और पूंजीगत वस्तु क्षेत्र की कंपनियों की वित्तीय सहेत पर दिखना बाकी है। इस क्षेत्र की कंपनियों को सपाट राजस्व और कमोर मुनाफे की वजह से लगातार संघर्ष करना पड़ रहा है।
अब तीसरी तिमाही के नतीजे घोषित कर चुकीं 42 सूचीबद्घ निर्माण एवं पूंजीगत वस्तु कंपनियों की संयुक्त शुद्घ बिक्री वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में सालाना आधार पर 2.3 प्रतिशत घटी है, जबकि प्रमुख परिचालन लाभ (अन्य आय को छोड़कर) दिसंबर तिमाही के दौरान सालाना आधार पर महज 4.9 प्रतिशत बढ़ा।
तिमाही के दौरान कंपनियों का संयुक्त शुद्घ लाभसालाना आधार पर 6.5 प्रतिशत तक बढ़ा और इसे अन्य में शानदार वृद्घि तथा परिसंपत्ति बिक्री से मदद मिली। कंपनियों की संयुक्त अन्य आय तीसरी तिमाही में सालाना आधार पर 25.1 प्रतिशत तक बढ़ी।
दिसंबर 2020 की तिमाही में इन कंपनियों का संयुक्त राजस्व करीब 43,800 करोड़ रुपये रहा, जो दो साल पहले के समान है और पिछले पांच वर्षों के संदर्भ में 16 प्रतिशत तक ज्यादा है। इससे संकेत मिलता है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर और पूंजीगत वस्तु क्षेत्र की कंपनियों को वृद्घि से संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
नमूने में लार्सन ऐंड टुब्रो, भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स, थर्मेक्स, केईसी इंटरनैशनल, रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर, आईआरबी इन्फ्रा, कमिंस इंडिया, अशोका बिल्डकॉन और इंजीनियर्स इंडिया जैसी प्रमुख कंपनियां शामिल हैं।
इन कंपनियों की संयुक्त शुद्घ बिक्री अप्रैल-दिसंबर 2020 यानी वित्त वर्ष 2021 के 9 महीनों के दौरान सालाना आधार पर 19.9 प्रतिशत कम रही, जबकि उनका मुख्य परिचालन लाभ (अन्य आय को छोड़कर) इस अवधि के दौरान 56.8 प्रतिशत नीचे रहा।
वित्त वर्ष 2022 क लिए पेश बजट के अनुसार, पूंजीगत खर्च के लिए बजटीय सहायता वित्त वर्ष 2021 में सालाना आधार पर 30.8 प्रतिशत तक बढ़ी और अगले वित्त वर्ष में इसमें अन्य 26.2 प्रतिशत तक की तेजी आने का अनुमान है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों समेत कुल सार्वजनिक पूंजीगत खर्च वित्त वर्ष 2021 में 11 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2022 में 4.8 प्रतिशत तक बढऩे की संभावना है।
हालांकि विश्लेषकों को मार्च 2021 की तिमाही और वित्त वर्ष 2022 में उद्योग का प्रदर्शन सुधरने की उम्मीद है। उदाहरण के लिए, लार्सन ऐंड टुब्रो के इन्फ्रास्ट्रक्चर सेगमेंट ने तीसरी तिमाही के राजस्व में सालाना आधार पर 8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है। मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज के नीलेश भैया और प्रतीक सिंह का कहना है, ‘जहां पूंजीगत खर्च में सामान्य होने की रफ्तार ने अन्य क्षेत्रों को पीछे छोड़ दिया है, वहीं कंपनी का परिदृश्य काफी उत्साहजनक दिख रहा है और वित्त वर्ष 2021ई का समापन शानदार ऑर्डर बुक के साथ होने की संभावना है।’ कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी एवं प्रबंध निदेशक एस एन सुब्रमण्यन ने हाल में बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ फोन पर साक्षात्कार में बताया, ‘मुझे निजी क्षेत्र के तेजी से पटरी पर लौटने की उम्मीद है। लेकिन मेरा मानना है कि निजी क्षेत्र में खर्च की रफ्तार पूरी तरह सामान्य होने में अभी 6 महीने से लेकर एक साल का वक्त लग सकता है।’ समूह की समेकित ऑर्डर बुक 31 दिसंबर 2020 तक 331,061 करोड़ रुपये के ऊंचे स्तर पर थी, जो मार्च 2020 के स्तर के मुकाबले 9 प्रतिशत की वृद्घि है। कंपनी की कुल ऑर्डर बुक में अंतरराष्ट्रीय ऑर्डरों का करीब 20 प्रतिशत योगदान है।
केईसी इंटरनैशनल का कहना है कि महामारी ने परियोजन मिलने की पूरी प्रक्रिया को ठप कर दिया जिससे चालू वर्ष में ऑर्डर बुक और राजस्व वृद्घि पर प्रभाव पड़ा है। केईसी इंटरनैशनल के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी विमल केजरीवाल का कहना है, ‘हमें इस साल काफी हद तक सरकारी ऑर्डर मिले। निजी क्षेत्र ने अक्टूबर से ही इस संदर्भ में तेजी दिखानी शुरू की है और वह भी सीमेंट तथा धातु एवं खनन जैसे कुछ खास क्षेत्रों में ही दिख रही है।’

First Published - February 8, 2021 | 11:57 PM IST

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