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भारत के निर्यात पर चीन के पलटवार की आशंका

Last Updated- December 15, 2022 | 8:02 AM IST

सीमा पर तनाव बढऩे के बाद व्यापार मोर्चे पर भी भारत और चीन आमने-सामने आ गए हैं। तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच हॉन्ग कॉन्ग और चीन में अधिकारियों ने भारत से आई निर्यात खेप पर सख्ती कर दी है और इनकी जांच शुरू कर दी है। फेडेरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशंस (फियो) ने सरकार को यह इत्तला दी है। इससे पहले भारत चीन से आई वस्तुओं की जांच शुरू कर चुका है और समझा जा रहा है कि चीन ने भी इसके जवाब में अपना रुख कड़ा कर लिया है।
गुरुवार को फियो ने कहा कि भारत में कई बंदरगाहों पर सीमा शुल्क अधिकारियों ने चीन से आई निर्यात खेप की अचानक जांच का आदेश दे दिया। फियो ने कहा कि सरकार की तरफ से आधिकारिक तौर पर ऐसा कोई निर्देश नहीं आया है। बकौल फियो भारत के कदम के बाद चीन ने भी जवाबी कदम उठाए हैं। फियो के अध्यक्ष शरद कुमार सराफ ने वाणिज्य सचिव अनूप वधावन को लिखे पत्र में कहा, ‘हालांकि अधिकारियों ने आदेश तो दिया है, लेकिन आधिकारिक तौर पर इसकी कोई सूचना नहीं है।  इससे बंदरगाहों पर आयातित वस्तुओं का जखीरा खड़ा हो गया है। कुछ निर्यातकों ने बताया है कि भारत के कदम के बाद हॉन्ग और चीन के सीमा शुल्क विभाग ने भी भारत से आए सामान की जांच शुरू कर दी है।’ बिजनेस स्टैंडर्ड ने भी यह पत्र देखा है।
निर्यातकों की इकाई ने वाणिज्य विभाग से आग्रह किया है कि वह इस पूरे मामले पर केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीआईटी) को स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दे। फियो ने कहा कि जब तक स्थिति स्पष्ट नहीं होती है तब तक चीन और हॉन्ग कॉन्ग में आयात साझेदार अचानक आई इस बाधा से नहीं निपट पाएंगे। फियो के महानिदेशक  अजय साहनी ने कहा ‘चीन का भारत में निर्यात उनके कुल निर्यात का महज 2.8 प्रतिशत है। दूसरी तरफ भारत के कुल निर्यात का 5.4 प्रतिशत हिस्सा चीन जाता है।’ साहनी ने कहा कि भारत से चीन को अधिक निर्यात के मद्देनजर सभी बिंदुओं पर सोच-विचार के बाद ही निर्णय लिया जाना चाहिए।
फियो ने एक संवददाता सम्मेलन में कहा कि कोविड-19 महामारी के असर को देखते हुए वर्ष 2020-21 में निर्यात में 10 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। संगठन ने कहा कि जून में देश से होने वाला निर्यात मई के 36 प्रतिशत के मुकाबले 12 प्रतिशत तक घट सकता है। फियो ने आगाह किया कि अगर सरकार ने चीन से आने वाले आयात पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी तो आंकड़े और बिगड़ सकते हैं।
सराफ ने कहा, ‘हमारा उद्योग चीन से आने वाले कच्चे माल और कल-पुर्जों पर काफी हद तक आधारित है, इसलिए सरकार को सोच विचार कर कदम उठाना चाहिए। हमने विदेश व्यापार महानिदेशालय को सुझाव दिया है कि जल्दबाजी में कोई कदम उठाने के बजाय पहले चीन को निर्यात होने वाले कच्चे माल पर सख्ती बरतने और उन पर उपकर लगाने पर विचार किया जा सकता है।’
फियो ने वाणिज्य विभाग को हॉन्क कॉन्ग से आने वाले आयात की जांच करने के लिए कहा है। हॉन्ग कॉन्ग पिछले वर्ष भारत का छठा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार था और दोनों देश के बीच 15.68 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था। इस बीच, भारत दूसरे वर्ष भी चीन से आयात कम कम कर 62.3 अरब डॉलर तक करने में सफल रहा है।
व्यापार समझौते जरूरी
अब निर्यात के सौदे आने शुरू हो गए हैं और उन सौदों पर भी बातचीत शुरू हो गई है, जो पहले रद्द हो गए थे। सराफ ने कहा कि उदाहरण के तौर पर परिधान क्षेत्र में ऑर्डर आने लगे हैं। उन्होंने कहा कि लघु से मध्यम अवधि में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भारत को उन देशों के साथ संपर्क साधना चाहिए, जो चीन से नाराज चल रहे हैं। सराफ के अनुसार यूरोपीय संघ, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा और जापान जैसे देशों के साथ भारत व्यापार को बढ़ावा देने पर जोर दे सकता है। फियो ने कहा है कि भारत को विभिन्न देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने के लिए द्विपक्षीय बातचीत शुरू कर देनी चाहिए। सराफ ने कहा, ‘हमें कम शुल्कों का लाभ लेने के लिए कम से कम कुछ देशों के साथ समझौता करना चाहिए।’

First Published - June 25, 2020 | 11:04 PM IST

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