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Finally, CBDT ने FPI को लेकर की बड़ी बात, अब कोई confusion नही होगा

सिंगापुर के लिए कुल एयूसी (जो सूची में दूसरे नंबर पर है) दिसंबर 2024 में 7.29 लाख करोड़ रुपये रही जबकि मॉरीशस के लिए करीब 3.76 लाख करोड़ रुपये थी।

Last Updated- January 22, 2025 | 10:31 PM IST
FPI के चहेते देशों में 5वें स्थान पर फिसला मॉरीशस, आयरलैंड 4.41 लाख करोड़ रुपये एयूसी के साथ चौथे स्थान पर पहुंचा, Mauritius slipped to 5th place among FPI's favorite countries, Ireland reached 4th place with AUC of Rs 4.41 lakh crore

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों और एसेट मैनेजरों को राहत देते हुए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने दोहरे कराधान बचाव समझौते (डीटीएए) के संबंध में प्रिंसिपल पर्पज टेस्ट (पीपीटी) को लेकर अपना रुख स्पष्ट किया है। बोर्ड ने कहा है कि यह आगे की तारीख से लागू होगा जिससे पिछले निवेश पर ग्रैंडफादरिंग की इजाजत मिलेगी। पिछले साल भारत-मॉरीशस कर संधि में संशोधन के जरिये पीपीटी लागू किया गया था ताकि करदाता इस संधि का दुरुपयोग न कर सकें।

हालांकि इसने व्याख्या की यह गुंजाइश छोड़ी है कि क्या यह अप्रैल 2017 से पहले के निवेश पर कर के मकसद से लागू होगा या यह आगे की तारीख से लागू होगा। सीबीडीटी के 21 जनवरी के परिपत्र में पीपीटी पर स्पष्टीकरण दिया गया है। ग्रैंडफादरिंग प्रावधानों के रूप में साइप्रस, मॉरीशस और सिंगापुर के साथ भारत की कुछ निश्चित द्विपक्षीय प्रतिबद्धताएं हैं।

सीबीडीटी के परिपत्र में कहा गया है कि ये प्रतिबद्धताएं पीपीटी प्रावधानों के साथ नहीं जुड़ी हैं। इसलिए स्पष्ट किया जाता है कि ऐसे डीटीएए के तहत ग्रैंडफादरिंग का प्रावधान पीपीटी प्रावधानों के दायरे से बाहर बना रहेगा। इसके बजाय यह संबंधित डीटीएए के विशिष्ट प्रावधानों से ही प्रशासित होगा।

पीपीटी के तहत करदाता करार का लाभ तभी ले सकते हैं जब वे स्थापित कर दें कि ये लाभ प्रासंगिक प्रावधानों के मुताबिक है, जिनमें सबस्टेंस रीक्वायरमेंट (निश्चित नियम और प्रमाण) शामिल हैं। सबस्टेंस के तहत किसी विशिष्ट देश में परिचालन के लिए कर्मचारियों, कार्यालयों, टर्नओवर, खर्च आदि शामिल होते हैं।

आधार क्षरण और लाभ स्थानांतरण (एमएलआई) को रोकने की खातिर कर संधि से संबंधित प्रावधानों के क्रियान्वयन के लिए बहुपक्षीय संधि लागू होने के बाद से पीपीटी एक महत्वपूर्ण तत्व था। भारत में एमएलआई अक्टूबर 2019 में लागू हुआ।

डेलॉयट इंडिया के पार्टनर रोहिंटन सिधवा ने कहा कि यह परिपत्र ग्रैंडफादरिंग अनुच्छेद की प्रधानता को स्थापित करता है जो कुछ संधियों (साइप्रस, मॉरीशस और सिंगापुर) में शामिल है। अनिवार्य रूप से यह परिपत्र ऐसी संधि की विशिष्ट द्विपक्षीय प्रतिबद्धताओं को संरक्षण देता है और उसे पीपीटी के प्रावधानों के बाहर रखता है। भारत-मॉरीशस संधि का नया प्रोटोकॉल सार्वजनिक किए जाने के समय यह अपरिभाषित क्षेत्र था। हालांकि पीपीटी प्रावधानों को अभी अधिसूचित नहीं किया गया है। लेकिन सिधवा की राय है कि इस स्पष्टीकरण के साथ प्रोटोकॉल को अधिसूचित किया जा सकता है और आगामी वित्त वर्ष में इसे प्रभावी बनाया जा सकता है। भारत में एफपीआई की ऐसेट अंडर कस्टडी (एयूसी) के मामले में सिंगापुर और मॉरीशस पांच अग्रणी देशों में शामिल हैं।

सिंगापुर के लिए कुल एयूसी (जो सूची में दूसरे नंबर पर है) दिसंबर 2024 में 7.29 लाख करोड़ रुपये रही जबकि मॉरीशस के लिए करीब 3.76 लाख करोड़ रुपये थी। सबसे ज्यादा एयूसी के मामले में मॉरीशस अब भारत में पांचवां देश है।

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First Published - January 22, 2025 | 10:23 PM IST

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