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राजकोषीय परिषद गठित करने की योजना नहीं : वित्त मंत्रालय

Last Updated- December 11, 2022 | 8:44 PM IST

वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को राज्यसभा को बताया कि 15वें वित्त आयोग और वित्तीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) समिति द्वारा प्रस्तावित किसी राजकोषीय परिषद के गठन की कोई योजना नहीं है। मंत्रालय ने कहा कि मौजूदा निकाय वह भूमिका निभा रहे हैं, जिसकी परिकल्पना प्रस्तावित राजकोषीय परिषद के लिए की गई थी। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने दो अलग-अलग उत्तरों में कहा कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग और वित्त आयोग जैसे प्रतिष्ठान एफआरबीएम एनके सिंह समिति द्वारा राजकोषीय परिषद के लिए प्रस्तावित कुछ या पूरी भूमिका निभा रहे हैं।
राज्यसभा सदस्य एम षणमुगम और आरजी वेंकटेश ने पूछा था कि क्या केंद्र ने स्थिर और टिकाऊ सार्वजनिक वित्त को बढ़ावा देने के लिए किसी स्वतंत्र राजकोषीय परिषद का गठन किया जाना रद्द कर दिया है।
किसी स्वतंत्र राजकोषीय परिषद की स्थापना का प्रस्ताव सबसे पहले 14वें वित्त आयोग द्वारा रखा गया था। बाद में इसकी प्रस्तावित भूमिका और कार्यों को वित्तीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन समिति द्वारा वर्ष 2017 में और 15वें वित्त आयोग द्वारा वर्ष 2021-22 (वित्त वर्ष 22) से वर्ष 2025-26 के लिए अपनी रिपोर्ट में विस्तारपूर्वक रखा गया था। एफआरबीएम की इस समिति और 15वें वित्त आयोग दोनों का ही नेतृत्व एनके सिंह कर रहे थे।
15वें वित्त आयोग के सदस्य और पूर्व वित्त सचिव अजय नारायण झा ने कहा कि सरकार का ऐसा रुख बना हुआ है कि मौजूदा निकाय पर्याप्त हैं। वित्त आयोग ने इस रिपोर्ट में अपना यह नजरिया पेश किया है कि राजकोषीय परिषद क्यों होनी चाहिए, सरकार की वित्तीय नीति पर उसका मार्गदर्शन करने वाले विशेषज्ञ क्यों होने चाहिए।
वर्ष 2021 से वर्ष 2026 के लिए अपनी रिपोर्ट में 15वें वित्त आयोग ने कहा था कि हम एक स्वतंत्र राजकोषीय परिषद की स्थापना की सिफारिश करते हैं, जिसके पास जरूरत के अनुरूप केंद्र और राज्यों के लेखे-जोखे तक की पहुंच की शक्तियां हों। इस राजकोषीय परिषद की केवल एक सलाहकार भूमिका रहेगी। यह स्पष्ट रूप से प्रवर्तन से अलग होगी, जो सरकार के अन्य अंगों का विशेषाधिकार होता है।
रिपोर्ट में कहा गया था कि इस परिषद के कार्यों में – कार्य बहु-वर्षीय विस्तृत अर्थव्यवस्था और राजकोषीय पूर्वानुमान प्रदान करना, सरकार के विभिन्न स्तरों पर लक्ष्यों की तुलना में राजकोषीय प्रदर्शन का मूल्यांकन करना, राज्यों के मामले में राजकोषीय लक्ष्यों की उपयुक्ता और निरंतरता का आकलन करना, दीर्घावधि की राजकोषीय स्थिरता का स्वतंत्र मूल्यांकन आदि शामिल होंगे।

First Published - March 15, 2022 | 11:32 PM IST

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