मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के कमजोर प्रदर्शन से देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष 2022-23 में सालाना आधार पर घटकर सात प्रतिशत रह सकती है। GDP देश की सीमा में निश्चित अवधि में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को बताता है।
राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (NSO) 2022-23 के लिए आर्थिक वृद्धि का पहला अग्रिम आकलन शुक्रवार शाम को जारी किया गया। इसके तीन हफ्ते बाद, एक फरवरी को लोकसभा में बजट पेश होगा।
NSO के अनुसार, ‘‘स्थिर मूल्य (2011-12) पर GDP 2022-23 में 157.60 लाख करोड़ रुपये रहने की संभावना है जबकि 31 मई, 2022 को जारी 2021-22 के अस्थायी अनुमान में इसके 147.36 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था।’’
वित्त वर्ष 2022-23 के लिए राष्ट्रीय आय का पहला अग्रिम अनुमान बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इन आंकड़ों का उपयोग अगले वित्त वर्ष 2023-24 के लिए केंद्र सरकार के बजट को तैयार करने के लिए किया जाता है।
पिछले महीने, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने चालू वित्त वर्ष के लिए देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि के अनुमान को पहले के सात फीसदी से घटाकर 6.8 फीसदी कर दिया था। ऐसा भूराजनीतिक तनाव और वैश्विक वित्तीय परिस्थितियों के मद्देनजर किया गया था।
RBI ने 2022-23 के लिए वास्तविक GDP वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। तीसरी तिमाही में वृद्धि दर 4.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में वृद्धि दर 4.2 प्रतिशत रहने की संभावना जताई थी।
चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि अनुमान को दिसंबर 2022 में तीसरी बार संशोधित किया गया। अप्रैल 2022 में केंद्रीय बैंक ने GDP वृद्धि के अनुमान को 7.8 फीसदी से घटाकर 7.2 फीसदी कर दिया था वहीं पिछले वर्ष सितंबर में इसे और घटाकर सात फीसदी कर दिया गया था। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने भी भारत की वृद्धि के अनुमान को पहले के 7.4 फीसदी से घटाकर 6.8 फीसदी कर दिया था।
इसी तरह विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन घटकर 1.6 फीसदी रहने का अनुमान है जबकि 2021-22 में इसमें 9.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
(भाषा के इनपुट के साथ)