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महत्वपूर्ण मिनरल्स की पहली लिस्ट और MSP में एंट्री: कुछ ऐसे होगी इनकी सप्लाई चेन सिक्योरिटी

इन महत्त्वपूर्ण खनिजों की पहचान, खोज, विकास, खनन और प्रसंस्करण के लिए खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड की स्थापना की गई

Last Updated- June 29, 2023 | 11:57 PM IST
India and Britain will explore the possibility of green technology for important minerals महत्त्वपूर्ण खनिज के लिए हरित तकनीक की संभावना तलाशेंगे भारत और ब्रिटेन

भारत की महत्त्वपूर्ण खनिजों की पहली सूची जारी की है। इससे देश अमेरिका के नेतृत्व वाली खनिज सुरक्षा साझेदारी ( Minerals Security Partnership-MSP) में प्रवेश कर गया है। इससे भारत को महत्त्वपूर्ण खनिजों की वैश्विक सप्लाई चेन की सुरक्षा करने में मदद मिलेगी।

भारत ने अप्रैल में अपनी तरह की पहली साझेदारी में ऑस्ट्रेलिया में पांच महत्त्वपूर्ण खनिजों की खोज के लिए निवेश करने का फैसला किया था। इसके तहत पांच में हरेक खनिज के लिए क्रमश 30 लाख डॉलर का संयुक्त निवेश भारत और ऑस्ट्रेलिया करेंगे। हालांकि भारत अपनी आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत कर रहा है लेकिन वह अपने पड़ोसी देश चीन से पीछे है। विश्व में महत्त्वपूर्ण खनिजों का सबसे बड़ा उत्पादक और प्रसंस्करणकर्ता चीन है।

चीन विश्व में पृथ्वी के दुर्लभ खनिज के तत्वों का 60 फीसदी उत्पादन करता है और मोलिब्डेनम का 34 फीसदी उत्पादन करता है। चीन महत्त्वपूर्ण खनिजों का केवल उत्पादन ही नहीं कर रहा है बल्कि उन पर नियंत्रण भी स्थापित कर रहा है। चीन जिन महत्त्वपूर्ण खनिजों का उत्पादन नहीं कर रहा है, उनका आयात करके प्रसंस्करण कर रहा है। जैसे ऑस्ट्रेलिया विश्व के 52 फीसदी लीथियम का उत्पादन करता है और इसका चीन प्रमुख आयातक है। फिर चीन लीथियम का प्रसंस्करण कर विश्व को आपूर्ति करता है। विश्व को लीथियम की आपूर्ति करने में चीन की हिस्सेदारी 58 फीसदी है।

चीन ने नवीकरणीय और आधुनिकतम तकनीक को अपनाना 2001 की शुरुआत में कर दिया था। चीन बीते दो दशकों के दौरान विश्व के प्रमुख बैटरी निर्माता में से एक बन गया है। विश्व के 10 शीर्ष बैटरी निर्माता में पांच चीन के हैं। चीन सेमीकंडक्टर के पांच शीर्ष उत्पादकों में से एक है। विश्व की आधी से ज्यादा बिजली से चलने वाली कारें चीन में हैं। इसके विपरीत भारत पृथ्वी के दुर्लभ खनिजों के मामले में विश्व में पांचवें स्थान पर है। लेकिन भारत अपने समकक्ष देशों की तुलना में पिछड़ा हुआ है। भारत के पिछड़ेपन का कारण निजी साझेदारी की कमी, कड़े नियम और तकनीक का अभाव है।

तैयारी का समय?

सेमीकंडक्टर की आपूर्ति की कमी का सामना करने के बाद भारत ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बनाने का प्रयास किया। इसके लिए भारत को महत्त्वपूर्ण खनिजों जैसे सिलिकॉन, जर्मेनियम और गैलियम आर्सेनाइड सहित अन्य महत्त्वपूर्ण खनिजों की जरूरत है। विकासशील देशों में भारत प्रथम है जिसने खनिज सुरक्षा साझेदारी में प्रवेश किया है। इस साझेदारी में अमेरिका के अलावा ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, जापान, कोरिया गणराज्य, स्वीडन, यूके, यूरोपीय कमीशन, इटली और अब भारत भी है। ऊर्जा, वातावरण और जल परिषद के सीनियर प्रोग्राम लीड ऋषभ जैन ने कहा, ‘भारत खनिज सुरक्षा साझेदारी में प्रवेश करके अपनी खनिज सप्लाई चेन को मजबूत कर सकता है। लेकिन भारत प्रसंस्करण और निर्माण तकनीक विकसित करने की भी जरूरत है, तभी घरेलू स्तर पर उपलब्ध खनिजों का पूरा उपयोग कर पाएगा।’

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भारत ने आधिकारिक रूप से महत्त्वपूर्ण खनिजों की पहली सूची बुधवार को जारी की। इसमें 30 खनिजों की पहचान की गई है। इन 30 में 17 पृथ्वी के दुर्लभ तत्व (REE) है और छह प्लेटिनम समूह के तत्व (PGE) हैं। ये खनिज देश के आर्थिक विकास और तकनीकी विकास के लिए जरूरी हैं। महत्त्वपूर्ण खनिज की सूची में शामिल खनिज एंटीमोनी, बेरिलियम, बिस्मथ, कोबाल्ट, तांबा, गैलियम, जर्मेनियम, ग्रेफाइट, हेफ़नियम, इंडियम, लिथियम, मोलिब्डेनम, नाइओबियम, निकल, पीजीई, फॉस्फोरस, पोटाश, आरईई, रेनियम, सिलिकॉन, स्ट्रोंटियम, टैंटलम, टेल्यूरियम, टिन, टाइटेनियम, टंगस्टन, वैनेडियम, ज़िरकोनियम, सेलेनियम और कैडमियम हैं। इस सूची में शामिल दस खनिज 100 फीसदी आयात पर निर्भर हैं। आयात पर आश्रित खनिज लिथियम कोबाल्ट, निकल, वैनेडियम, नाइओबियम, जर्मेनियम, रेनियम, बेरिलियम, टैंटलम और स्ट्रोंटियम हैं।

चुनौतियां

भारत में महत्त्वपूर्ण खनिजों की मांग बढ़ने की उम्मीद है। सरकार के ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्मार्ट सिटी’, आत्मनिर्भर भारत, नवीकरणीय ऊर्जा के 100 गीगावाट के लक्ष्य, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक उद्योग में उत्पादन के लिए प्रोत्साहन से जुड़ी योजनाओं, बिजली चालित वाहन की मांग आदि बढ़ने के कारण महत्त्वपूर्ण खनिजों की मांग बढ़ेगी।

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उठाए गए कदम

इन महत्त्वपूर्ण खनिजों की पहचान, खोज, विकास, खनन और प्रसंस्करण के लिए खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड की स्थापना की गई है। इस उपक्रम ने लीथियम के लिए अर्जेंटीना से 2020 के मध्य में हस्ताक्षर किए थे। इसने चिली और बोलविया में भी खनने के अवसरों को तलाशा है। भारत ने इन महत्त्वपूर्ण खनिजों का उपयोग करने के लिए कानून में बदलाव किए हैं। जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में मिले 59 लाख टन लीथियम भंडार मिला है। उम्मीद है कि सरकार इसकी नीलामी प्रक्रिया को जल्द पूरा करेगी।

First Published - June 29, 2023 | 8:43 PM IST

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