अगस्त में पैकेज्ड व खाने के लिए तैयार उत्पादों की बिक्री की सुस्त रफ्तार पर मीडिया रिपोर्ट और ब्रोकरेज के नोट से पैकेज्ड फूड बनाने वाली दिग्गज कंपनियों नेस्ले, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज व आईटीसी को लेकर निवेशकों की अवधारणा पर असर पड़ा है। महंगे मूल्यांकन के देखते हुए ब्रिटानिया व नेस्ले पर इसका असर अपेक्षाकृत ज्यादा रहा है। विश्लेषक इसे बहुत बड़ी चिंता नहीं मानते और उनका मानना है कि गिरावट में इनकी खरीद की जा सकती है।
दौलत कैपिटल के उपाध्यक्ष सचिन बोबडे ने कहा, जून तिमाही में कई पैकेज्ड फूड कंपनियों की मात्रात्मक बिक्री को लॉकडाउन के कारण घबराहट में हुई खरीदारी से सहारा मिला। हालांकि अब आपूर्ति शृंखला बहाल हो गई है। इसलिए मात्रात्मक बिक्री सामान्य हो रही है।
उन्होंने कहा, इसके परिणामस्वरूप क्रमिक आधार पर राजस्व की रफ्तार घटेगी लेकिन एक साल पहले के मुकाबले बेहतर बनी रहेगी। जून तिमाही में मात्रात्मक बिक्री में 21.5 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज करने के बाद ब्रिटानिया के प्रबंधन ने फर्म की आय की घोषणा के समय संकेत दिया था कि बढ़त की ऐसी उच्च रफ्तार लंबे समय तक शायद ही टिकी रहेगी। इसलिए कई विश्लेषक पहले ही मात्रात्मक बढ़ोतरी की सुस्त रफ्तार मान चुके हैं।
हाल के हफ्तों में बाहर खाना खाने के मामले ने जोर पकड़ा है और पैकेज्ड सामान की मांग पर असर डाल सकता है, लेकिन यह अभी भी कोविड पूर्व के स्तर से काफी दूर है। संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए बाहर खाने की बारंबारता में शायद ही जल्द इजाफा देखने को मिलेगा।
सेंट्रम ब्रोकिंग के विश्लेषक शीरीष परदेशी ने कहा, जून तिमाही के मुकाबले मात्रात्मक बिक्री की रफ्तार में थोड़ी कमी आएगी क्योंंकि बाहर के खाने की खपत बढ़ रही है। हालांकि पैकेज्ड फूड की मांग में शायद ही कमी आएगी।
आईटीसी के डिविजनल सीईओ (फूड डिविजन) हमंत मलिक ने कहा, भरोसेमंद, उच्च गुणवत्ता और सुरक्षित व स्वास्थ्यवर्धक ब्रांडों को उपभोक्ता काफी तरजीह दे रहे हैं। कुल मिलाकर आईटीसी के पैकेज्ड फूड ब्रांडों की मांग में तेजी दिख रही है।
आईटीसी का गैर-सिगरेट एफएमसीजी कारोबार उसके राजस्व में 24-25 फीसदी का योगदान करता है और परिचालन लाभ में महज 2 फीसदी। लेकिन इसकी हिस्सेदारी बढ़ सकती है क्योंंकि कंपनी तेजी से बढऩे वाले इस कारोबार पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
इसके अतिरिक्त महामारी ने संगठित खाद्य कंपनियों का मार्ग प्रशस्त किया है क्योंंकि स्थानीय व गैर-ब्रांडेड कंपनियों ने दबाव महसूस किया है। आईडीबीआई कैपिटल के विश्लेषकों ने कहा, नेस्ले, ब्रिटानिया व आईटीसी जैसी बड़ी कंपनियां वितरण में दक्षता और उपभोक्ताओं का गैर-ब्रांडेड से ब्रांडेड की ओर जाने के कारण बाजार हिस्सेदारी में बढ़ोतरी दर्ज करेगी।
इसके अलावा कृषि सुधार से खाद्य विनिर्माण फर्मों को फायदा मिल सकता है, हालांकि वास्तविक फायदे पर स्पष्टता में थोड़ा वक्त लग सकता है। जेएम फाइनैंंशियल के विश्लेषकों ने एक नोट में कहा, यह बदलाव भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में तेजी ला सकता है और कृषि जिंसों की खरीद की लागत घटा सकता है।