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अनुपालन बोझ कम करने को अपना रहे चार उपाय

Last Updated- December 12, 2022 | 8:41 AM IST

सरकार उद्यमों पर अनुपालन का बोझ कम करने और सुविधाजनक एवं सरल जीवनयापन (ईज ऑफ लिविंग) को बढ़ावा देने के लिए चार तरीके अपना रही है। डीपीआईआईटी सचिव गुरुप्रसाद महापात्र ने यह बात कही। महापात्र ने संवाददाताओं को बताया कि इन चार उपायों में छोटे अपराधों को गैर-आपराधिक घोषित करना, अनावश्यक कानूनों को हटाना, नागरिक-सरकार के जुड़ाव के स्तर पर बड़े सुधार लागू करना और उद्यमों के लिए लाइसेंस की जरूरत में ढील देना शामिल हैं।
केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों से कहा गया है कि ऐसे कानूनों की पहचान की जाए, जिनमें दीवानी अपराधों में आपराधिक दंड मिलता है और उन्हें गैर-आपराधिक बनाया जाए।
महापात्र ने कहा कि दूसरे उपाय के तहत सभी मंत्रालयों से ऐसे अप्रचलित कानूनों, नियमों और नियमनों को चिह्नित करने को कहा गया है, जो किसी काम के नहीं हैं और अनावश्यक समय एवं लागत बढ़ाते हैं और जीवनयापन में आसानी या कारोबार करने में सहूलियत को प्रोत्साहित नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि यह सरकार सत्ता में आने के बाद ऐसे करीब 1,400 कानूनों को पहले ही खत्म कर चुकी है।
तीसरा उपाय नागरिक-सरकार के जुड़ाव में बड़े सुधार लाना है। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार ने दस्तावेजों के सत्यापन के नियमों में ढील दी और किसी राजपत्रित अधिकारी से दस्तावेजों के सत्यापन की अनिवार्यता खत्म की और स्व-सत्यापन की मंजूरी दी। उन्होंने कहा, ‘इसने मुश्किल हालात में हर व्यक्ति की मदद की है। आसान पहलों ने तकलीफदेह चीजें खत्म कर दी हैं।’
उन्होंने कहा कि सरकारी विभागों को निर्देश दिया गया है कि ऐसे नागरिक-सरकार जुड़ावों की पहचान की जाए ताकि उन्हें आसान और सरल बनाया जा सके। राज्यों से भी ऐसा करने को कहा गया है और वे भी ऐसे कदम उठा रहे हैं। दुकान एवं प्रतिष्ठान अधिनियम, श्रम अधिनियम, नागरिक आपूर्ति अधिनियम जैसे बहुत से राज्य कानूनों की समीक्षा की जा रही है।  
चौथे कदम के तहत सभी मंत्रालयों और राज्यों को व्यापार एवं उद्यमों के लिए अनुपालना अड़चनें उनकी प्रतिनिधि संस्थाओं के फीडबैक के आधार पर 31 मार्च तक चिह्नित करनी होंगी। उन्होंने कहा कि दुकान जैसी सुविधाओं के नवीनीकरण को खत्म किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पंजीकरण के बाद ऐसे प्रतिष्ठानों को बिना नवीनीकरण के तब तक चलने दिया जाए, जब तक वे उसे चलाना चाहते हैं। अगर नवीनीकरण आवश्यक है तो इसे सालाना बनाने की जरूरत नहीं है। इसकी अवधि पांच साल या अधिक रखी जा सकती है। महापात्र ने कहा कि इस बारे में भी संभावनाएं तलाशी जा रही हैं कि क्या पंजीकरण, निरीक्षण जैसे कार्य फेसलेस और ऑटोमेटेड संभव हैं। जिन गतिविधियों के लिए विधायी बदलाव जरूरी हैं, उन्हें 15 अगस्त तक पूरे करने की कोशिश की जा रही है।
सभी के लिए पीएलआई
महापात्र ने कहा कि सरकार द्वारा मोबाइल उपकरण विनिर्माताओं, चिकित्सा उपकरणों और ऐक्टिव फार्मास्यूटिकल इन्ग्रेडिएंट्स (एपीआई) के अलावा 10 अन्य क्षेत्रों के लिए घोषित उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना की अधिसूचना चालू वित्त वर्ष के अंत तक जारी की जाएगी। महापात्र ने कहा, ‘हम उसकी (पीएलआई योजना) की निगरानी कर रहे हैं और हमें उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक सभी क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजना को कैबिनेट की मंजूरी मिल जाएगी और इसकी अधिसूचना जारी हो जाएगी।’
इसकी अधिसूचना के बाद योजना के बहुत से लाभार्थियों ने आग्रह किया था कि उन्हें योजना का हिस्सा बनने का फैसला लेने के लिए चार से छह महीने का समय दिया जाए। उन्होंने कहा कि ये आग्रह विदेशी कंपनियों की तरफ से आए थे क्योंकि उन्हें संगठन में आंतरिक स्तर पर मंजूरी लेने में समय लगता है। महापात्र ने कहा, ‘पीएलआई योजना दुनिया के लिए भारत में वैश्विक चैंपियनों को प्रोत्साहन देगी।’
सरकार ने पीएलआई योजना में 13 क्षेत्रों के लिए करीब 1.97 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। यह धनराशि वित्त वर्ष 2021-22 से अगले पांच साल तक खर्च की जाएगी। सरकार की करीब 1,000 वैश्विक कंपनियों पर नजर है, जो भारतीय बाजार में विस्तार करना या प्रवेश करना चाहती हैं।

First Published - February 5, 2021 | 11:39 PM IST

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