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जीडीपी वृद्धि अनुमान आर्थिक समीक्षा से कम

Last Updated- December 11, 2022 | 9:26 PM IST

वित्त वर्ष 2023 में वास्तविक सकल घरेलू वृद्घि को लेकर वित्त मंत्रालय का आंतरिक अनुमान 2021-22 की आर्थिक समीक्षा में पेश किए गए 8-8.5 फीसदी के अनुमान से कम है। बिजनेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी मिली है। सरकार के कुछ हिस्सों का मानना है कि स्थायी कीमतों पर जीडीपी वृद्घि 7 फीसदी के नजदीक रह सकती है जबकि नीति निर्माता यह मानकर चल रहे हैं कि अगले वित्त वर्ष में अपस्फीतिकारक में गिरावट आएगी, मुद्रास्फीति का दबाव अभी भी बना रहेगा और यदि कोई समीक्षा में वास्तविक जीडीपी अनुमानों और बजट में जीडीपी अनुमानों के बीच के अंतर पर ध्यान दे तो इसलिए अपस्फीतिकारक 3 फीसदी जितना हो सकता है।    
बजट में वित्त वर्ष 2023 में नॉमिनल जीडीपी वृद्घि 11.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है। जीडीपी अपस्फीतिकारक या अंतर्निहित कीमत अपस्फीतिकारक महंगाई का मापक होता है और नॉमिनल जीडीपी तथा वास्तविक जीडीपी के बीच का अंतर होता है क्योंकि नॉमिनल जीडीपी में मुद्रास्फीति शामिल होती है जबकि वास्तविक जीडीपी में नहीं। यदि वित्त वर्ष 2023 के लिए समीक्षा और बजट अनुमान ठीक साबित होते हैं तो अपस्फीतिकारक केवल 3 फीसदी के करीब रहेगा। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अनुमान है कि आगामी वित्त वर्ष की पहली छमाही में औसत खुदरा मुद्रास्फीति 5 फीसदी रहेगी। साथ ही, वैश्विक जिंस कीमतें लगातार ऊंची बनी रहने से थोक मुद्रास्फीति प्रिंट पर असर होगा हालांकि 2021-22 से उच्च आधार मिलने के कारण उम्मीद है कि इसमें कमी आएगी।      
एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘उम्मीद यह की जा रही है कि वृद्घि करीब 7 फीसदी रहेगी और इसके साथ मुद्रास्फीतिकारक 4 फीसदी रहेगा। हाल के पहले संशोधित अनुमानों के मुताबिक महामारी से पूर्व 2019-20 में हमारी वृद्घि 3.7 फीसदी के करीब थी। हम महामारी के संकुचन से बाहर आ चुके हैं और अब महामारी से पूर्व के स्तरों पर हैं। इसलिए अगले वर्ष 8 फीसदी की वृद्घि की संभावना नहीं है।’
वृद्घि दर 2015-16 में 8 फीसदी और 2016-17 में 8.3 फीसदी रही थी। उसके बाद से वृद्घि दर में गिरावट आनी शुरू हो गई। ऐसा इसलिए हुआ कि अर्थव्यवस्था को पहला झटका नोटबंदी से लगा और उसके बाद से अर्थव्यवस्था में सुस्ती की स्थिति बरकरार रही।
बजट पेश किए जाने के बाद बिजनेस स्टैंडर्ड को दिए अपने साक्षात्कार में वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने इस पर बात करने से इनकार दिया कि क्या केंद्र के अपने जीडीपी अनुमान समीक्षा से अलग थे। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी अपस्फीतिकारक करीब 8.4 फीसदी है। सोमनाथन ने कहा, ‘आमतौर पर यह माध्य से प्रत्यावर्तन की स्थिति है। यानी कि इस वर्ष यदि डब्ल्यूपीआई बहुत अधिक है और यह सीपीआई से ऊपर है तो सामान्यतया अगले वर्ष यह सीपीआई से नीचे रहता है। ऐसा हमेशा नहीं होता है। लेकिन एक उपयुक्त अनुमान है। इसलिए, यदि हमारे पास जीडीपी अपस्फीतिकारक का प्रत्यावर्तन है तो अगले वर्ष सीपीआई से कम रह सकता है।’       
ताजे आर्थिक समीक्षा में वित्त वर्ष 2023 के लिए अनुमान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुमान से कम हैं। आर्थिक समीक्षा प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने तैयार की है।
इन अनुमानों का पीछे की मान्यताएं: आगे चलकर महामारी संबंधी आर्थिक बाधा की कमजोर स्थिति उत्पन्न नहीं होगी, मॉनसून सामान्य रहेगा, बड़े केंद्रीय बैंकों द्वारा वैश्विक तरलता की निकासी व्यापक तौर पर व्यवस्थित होगी, तेल कीमतें 70-75 डॉलर प्रति बैरल के बीच रहेगी और वैश्विक आपूर्ति शृंखला बाधाएं धीरे धीरे सुगम हो जाएंगी।

First Published - February 3, 2022 | 11:08 PM IST

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