कोविड-19 के प्रसार के कारण मौजूदा लॉकडाउन और भविष्य में इसके अन्य शहरों में प्रसार के डर के बीच अर्थशास्त्रियों ने वित्त वर्ष 21-22 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि दर के अनुमान में बदलाव किया है।
हाल के एक नोट में आईएचएस मार्किट ने कहा है कि उन्हें वित्त वर्ष 22 में जीडीपी वृद्धि 9.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। उनके मुताबिक महाराष्ट्र में लॉकडाउन से वृद्धि पर बहुत नकारात्मक असर होगा, क्योंकि राष्ट्रीय जीडीपी में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 16 प्रतिशत है।
आईएचएस मार्किट में एशिया प्रशांत की डिप्टी हेड दीपा कुमार ने लिखा है, ‘आईएचएस मार्किट का अनुमान है कि वित्त वर्ष 22 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि 9.6 प्रतिशत रहेगी। सेवा क्षेत्र और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान और फर्मों को राजस्व नुकसान, कर्मचारियों के नौकरी जाने से आर्थिक वृद्धि में कमी आएगी।’
राज्य सरकारें प्रतिबंध बढ़ाने की घोषणा कर रही हैं और आईएचएस मार्किट का मानना है कि पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और झारखंड सहित कई और राज्य प्रतिबंध बढ़ाएंगे। महाराष्ट्र, दिल्ली और कर्नाटक ने भी लॉकडाउन को आगे बढ़ा दिया है।
नोमुरा के विश्लेषक भी उम्मीद कर रहे हैं कि आर्थिक वृद्धि पर असर होगा। बहरहाल उनका मानना है कि कुल मिलाकर असर नहीं होगा और यह 2020 की तुलना में कम अवधि के लिए होगा, जब आर्थिक गतिविधियां कुछ सप्ताह के लिए ठहर गई थीं।
नोमुरा में प्रबंध निदेशक और भारत की मुख्य अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने लिखा है, ‘व्यापक अर्थव्यवस्था (बिजली की मांग, ई-वे बिल, रेलवे माल ढुलाई) में आर्थिक पीड़ा के संकेत हमें भी दिख रहे हैं। ज्यादा राज्य प्रतिबंध बढ़ा रहे हैं ऐसे में अगले महीने तक रफ्तार सुस्त रहेगी।