पिछले साल पैदा हुई मंदी शायद अपनी छठी मना रही है। दरअसल केंद्रीय सांख्यिकी संस्थान (सीएसओ) ने चालू वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर 7.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है, जो पिछले 6 वर्षों का सबसे कम आंकड़ा है।
जाहिर है, देसी अर्थव्यवस्था पर भी आर्थिक मंदी की जकड़न बढ़ती जा रही है। सबसे ज्यादा मार विनिर्माण क्षेत्र पर पड़ती दिख रही है। सीएसओ का अनुमान सरकार और दूसरे अर्थशास्त्रियों के अनुमान के जैसा ही है।
ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) दोनों को कुछ साहसिक कदम उठाने चाहिए, जिससे अर्थव्यवस्था को तेजी दी जा सके।
नैशनल इंस्टीटयूट ऑफ पब्लिक फाइनैंस एंड पॉलिसी के निदेशक एम गोविंद राव कहते हैं, ‘ताजा आंकड़े केवल अनुमान भर हैं। लेकिन ये काफी उत्साहजनक हैं।’ राव का मानना है कि चालू वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था 6.5-7 फीसदी की दर से बढ़ेगी।
एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत अप्रैल 2008 से पहले लगातार चार साल तक 8.9 फीसदी की औसत दर से आगे बढ़ी है, लेकिन वैश्विक आर्थिक मंदी ने इसे भी नहीं बख्शा है। इअर्थव्यवस्था की रफ्तार मंद पड़ गई है।
नीति निर्माता इस बात को लेकर चिंता में पड़े हुए हैं कि इसकी वजह से कपड़ा और रत्न और आभूषण जैसे श्रम प्रधान क्षेत्रों पर बहुत बुरा असर पड़ा है। विनिर्माण और सेवा क्षेत्र पिछले कुछ वक्त से अर्थव्यवस्था को दौड़ाने में बहुत अहम रहे हैं लेकिन अब इनकी हालत खराब है।
खनन और दूसरी कुछ सेवाओं में ही कुछ बेहतर नतीजों की आस है। रबी की फसल में रकबा बढ़ने से कृषि क्षेत्र में अच्छी बढ़त का अनुमान था, लेकिन सीएसओ के अनुमान के मुताबिक कृषि क्षेत्र की विकास दरें 2.6 फीसदी रहेगी जबकि पिछले साल यह वृद्धि दर 4.9 फीसदी थी।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने कृषि की विकास दर 3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। चालू वित्त वर्ष में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 4.1 फीसदी रहने का अनुमान है ।
जबकि पिछले वर्ष यही दर 8.2 फीसदी थी। देसी अर्थव्यवस्था में 55 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाले सेवा क्षेत्र के केवल 9 फीसदी बढ़ने का अनुमान लगाया गया है।
मंदी के आइने में कहीं खुशी कहीं गम
वाहन में लगा ब्रेक
सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्सर्स (एसआईएएम) के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी महीने में यात्री कार, दोपहिया वाहन और वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री में पिछले साल इसी अवधि के दौरान हुई बिक्री की तुलना में 7.4 फीसदी की कमी आई।
पिछले साल जनवरी में जहां 8,30,469 वाहनों की बिक्री हुई थी। यह आंकड़ा इस साल घटकर 7,68,622 पर पहुंच गया। इस अवधि में सबसे ज्यादा नुकसान वाणिज्यिक वाहनों को हुआ है जिनकी बिक्री में 50.96 फीसदी की कमी आई है।
बाजार ने बदला गियर
भारतीय रिजर्व बैंक के ब्याज दरों में कटौती संबंधी संकेत और अर्थव्यवस्था में अपेक्षाकृत तेज वृद्धि की उम्मीदों ने बाजार को जबरदस्त उछाल दे दिया।?इस उछाल की वजह से आज बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स 9,500 अंक के स्तर को भी पार कर गया।
इन अच्छे संकेतों के बीच सेंसेक्स 283 अंकों की बढ़त के साथ महीने के उच्चतम स्तर पर बंद हुआ। इससे पहले 7 जनवरी को इतने ऊंचे स्तर पर पहुंचा था। सोमवार को बाजार 283.03 अंक चढ़कर 9,583.89 के स्तर पर बंद हुआ।