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गिग वर्कर्स के लाभ संबंधी जानकारियां करनी होंगी अद्यतन

Last Updated- December 14, 2022 | 9:12 PM IST

केंद्र सरकार की ओर से प्रकाशित मसौदा श्रम नियमों के मुताबिक गिग अर्थव्यवस्था में शामिल कामगारों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ लेते रहने के लिए निरंतर अपनी जानकारियों को वेब पोर्टल पर अद्यतन करना होगा। वहीं गिग कंपनियों को भी स्व आकलन के जरिये एक कोष में अपना योगदान देना होगा।
सामाजिक सुरक्षा (केंद्रीय) नियम, 2020 संहिता में कहा गया है कि गिग और प्लेटफार्म कामगारों सहित असंगिठत क्षेत्र के सभी कर्मियों को अपना मौजूदा पता, मौजूदा नौकरी, गिग कंपनी के साथ करार की अवधि, कौशल, मोबाइल नंबर जैसी जानकारियों को केंद्र सरकार की ओर से सुझाए गए पोर्टल पर अद्यतन करना होगा।
13 नवंबर को जारी मसौदा नियमों में कहा गया है, ‘इन जानकारियों के अभाव में गिग कामगार या प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले कर्मचारी संहिता के तहत अधिसूचित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ उठाने के पात्र नहीं रह जाएंगे।’ इस मसौदे पर 45 दिनों के भीतर सार्वजनिक टिप्पणी आमंत्रित की गई है।   
प्रस्ताव के मुताबिक गिग कर्मचारियों और प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा के लिए गिग कंपनियों को प्रत्येक वर्ष 30 जून तक अपना योगदान देना होगा। ये योगदान गिग कंपनियों द्वारा स्व आकलन के माध्यम से किया जाएगा। उन्हें प्रत्येक वित्त वर्ष के आरंभ में अपने साथ जुड़े गिग कर्मचारियों की संख्या और पिछले वर्ष में एग्रीगेटरों के सालाना कारोबार का उल्लेख करते हुए एक फॉर्म जमा कराना होगा।
सामाजिक सुरक्षा कोष में किया जाने वाला योगदान गिग और प्लेटफार्म कर्मियों के प्रति एग्रीगेटर की देनदारी का पांच फीसदी होगा। यह कोष गिग कर्मियों के लिए असंगठित क्षेत्र के दूसरे कामगारों से अलग होगा।
गिग कंपनियों को हर साल 31 अक्टूबर तक सरकार के पास एक अंतिम रिटर्न जमा कराना होगा जिसमें योगदान के तात्कालिक भुगतान के साथ इस मद में बकाया भुगतान की जानकारी देनी होगी।   
असंगठित और गिग कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा से इतर किसी लाभ की पात्रता का निर्धारण सरकार अलग से करेगी। हालांकि, इन कामगारों के पंजीयन का सत्यापन उनके आधार की जानकारियों से किया जाएगा जिसके बाद उन्हें एक विशिष्ट पंजीयन संख्या आवंटित की जाएगी।
विशेषज्ञों ने सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 से मसौदा नियमों में कई खामियों की ओर इशारा किया है। इसे पिछले महीने संसद में पारित किया गया है। विशेषज्ञों ने इंगित किया है कि कानून में कहा गया है कि कम से कम 50 महिला कर्मियों वाले सभी संगठनों को क्रेच (पालना घर) की सुविधा मुहैया करानी होगी लेकिन नियम में कहा गया है कि कम से कम 50 महिला कर्मियों वाले संगठनों को ऐसा करने की आवश्यकता है। इन नियमों में असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा कोष के स्रोतों पर भी स्पष्टता से प्रकाश नहीं डाला गया है जैसा कि नए कानून में ऐसा करने की आवश्यकता बताई गई है।
श्रम अर्थशास्त्री और एक्सएलआरआई जमशेदपुर में प्रोफेसर के आर श्याम सुंदर ने कहा, ‘ये नियम जटिल, भ्रामक और बिना काम के हैं और बहुत से मामलों को अफसरों के विवेकाधीन शक्तियों पर छोड़ दिया गया है जबकि उन्हें स्पष्ट तौर पर नियमों में उल्लिखित किया जाना चाहिए था। असंगठित क्षेत्र से आने वाले करीब 40 करोड़ कार्यबल के लिए इलेक्ट्रॉनिक पंजीकरण पर अनिवार्य भरोसा एक अन्यायपूर्ण मांग है।’
निर्माण क्षेत्र की कंपनियों की वित्तीय देनदारी घटाने के लिए उपकर के भुगतान में देरी होने पर लगने वाले ब्याज की दर को 2 फीसदी से घटाकर 1 फीसदी मासिक कर दी गई है।
केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय ने एक वक्तव्य में कहा, ‘मौजूदा नियमों के तहत आकलन अधिकारी यह निर्देश दे सकता है कि निर्माण स्थल से किसी सामग्री या मशीन को नहीं हटाया जा सकता है। मसौदा नियमों में अनिश्चित काल तक काम पर रोक लगाने की उसकी शक्ति को वापस ले लिया गया है।’
मंत्रालय ने कहा कि इसके अलावा मसौदा नियमों के तहत आकलन अधिकारी केवल इमारत के सचिव और अन्य निर्माण कर्मचारी बोर्ड की पूर्व अनुमति के बाद निर्माण स्थल का दौरा कर सकता है।

First Published - November 16, 2020 | 11:42 PM IST

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