कनाडा पेंशन प्लान इन्वेस्टमेंट बोर्ड (सीपीपीआईबी), ओंटारियो टीचर्स पेंशन प्लान, बेरिंग प्राइवेट इक्विटी, वर्डे पार्टनर्स जैसे वैश्विक निवेशक भारत के प्राइवेट डेट क्षेत्र में दस्तक देने की तैयारी में हैं। उन्हें महामारी और भारतीय बैंकों एवं गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की उधार देने की क्षमता सीमित होने की वजह से देश में उधारी की मांग काफी रहने की उम्मीद है। उद्योग के अनुमान के अनुसार इन निवेशकों ने भारत के प्राइवेट डेट क्षेत्र में 1 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश करने की प्रतिबद्घता जताई है। प्राइवेट डेट का मतलब निजी क्षेत्र की कंपनियों को कर्ज देना या द्वितीयक बाजार से ऐसा कर्ज खरीदना है।
पिछले महीने सीपीपीआईबी ने बेरिंग प्राइवेट इक्विटी एशिया के इंडिया क्रेडिट फंड-3 में करीब 1,800 करोड़ रुपये निवेश करने का वादा किया था। इस कोष के जरिये मझोले आकार की भारतीय कंपनियों को रुपये के मद में ऋण दिया जाएगा। सीपीपीआईबी ने 2019 में अपनी इकाई सीपीपीआईबी क्रेडिट इन्वेस्टमेंट्स के जरिये पीरामल एंटरप्राइजेज और बेन कैपिटल क्रेडिट द्वारा गठित इंडिया रीसर्जेंस फंड में 22.5 करोड़ डॉलर का निवेश किया था। इस कोष के तहत दिवालिया अदालतों के माध्यम से या सीधे ऋणदाताओं से संकटग्रस्त संपत्तियों में उनके मौजूदा कर्ज और इक्विटी प्रतिभूतियों को खरीदने पर जोर दिया गया था।
हालांकि सीपीपीआईबी का पीरामल के साथ प्रॉपर्टी डेवलपरों को कर्ज देने का पहले का उपक्रम परवान नहीं चढ़ पाया। उसी साल बेन कैपिटल ने देश के ऋण बाजार में दस्तक दी और भारतीय टीम का गठन किया। सीपीपी इन्वेेस्टमेंट्स में एपीएसी क्रेडिट के प्रमुख रेमंड चान ने कहा, ‘दुनिया भर में हमारे कुल फंड में से करीब 13 फीसदी ऋण बाजार में हैं और हमारे पास सीधे तौर पर ऋण उपलब्ध कराने की क्षमता है। भारत के पूंजी बाजार में कर्ज की कमी है और इस क्षेत्र में हमें अच्छे अवसर नजर आ रहे हैं।’ बेरिंग प्राइवेट इक्विटी एशिया ने पिछले साल दिसंबर में 3,000 करोड़ रुपये का भारत केंद्रित ऋण कोष पेश किया था। इसका मकसद कंपनियों की उधारी मांग को पूरा करना था। बेरिंग प्राइवेट इक्विटी एशिया में प्रबंध निदेशक और इंडिया क्रेडिट की प्रमुख कंचन जैन ने कहा कि कोविड के बाद बैंकों और एनबीएफसी से उधारी की उपलब्धता प्रभावित होने से निजी ऋण बाजार में अवसर काफी बढ़ गए हैं। पिछले साल सितंबर में ओंटारियो टीचर्स पेंशन प्लान बोर्ड ने एडलवाइस अल्टरनेट ऐसेट एडवाइजर्स के साथ प्राइवेट डेट प्लेटफॉर्म के लिए साझेदारी की थी। इस गठजोड़ का मकसद देश में 35 करोड़ डॉलर निवेश करना था।
वर्डे पार्टनर्स में एशिया कॉर्पोरेट एवं ट्रेडेड क्रेडिट के प्रमुख हसीब मलिक ने कहा, ‘महामारी से बाहर निकलने के बाद भारत अपने बैंकिंग तंत्र में 200 अरब डॉलर से ज्यादा के एनपीए का समाधान करने का प्रयास कर रहा है। इसके साथ ही देश के 300 अरब डॉलर के एनबीएफसी क्षेत्र में काफी उठा-पटक देखी जा रही है। कोविड-19 के प्रभाव की वजह से अच्छी गुणवत्ता वाले कारोबारों को मदद करने और कर्ज के लिए वैल्पिक उधारी की मांग काफी बढ़ गई है।’ एनारॉक कैपिटल में कॉर्पोरेट फाइनैंस के अध्यक्ष विशाल श्रीवास्तव ने कहा कि एनसीएलटी और आईबीसी प्रक्रिया के बाद कानूनी प्रारूप के साथ विदेशी ऋणदाता ज्यादा सहज होते हैं। एनारॉक के श्रीवास्तव ने कहा कि विदेशी कंपनियां 100 डॉलर के निवेश पर 12 से 15 डॉलर या रुपया मद में 18 से 21 रुपये तक कमा सकती है, जो उनकी रणनीति पर निर्भर करती है।