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गूगल कर संग्रह हुआ दोगुना, बेंगलूरु शीर्ष पर

Last Updated- December 12, 2022 | 5:57 AM IST

इक्वलाइजेशन लेवी या तथाकथित गूगल कर संग्रह 2020-21 में पिछले वर्ष के मुकाबले दोगुना हो गया। ऐसा अनिवासी ई-कॉमर्स परिचालकों को कर के दायरे में लाने के कारण हुआ है। कर संग्रह में यह इजाफा ऐसे समय पर हुआ है जब अमेरिका में भारत के खिलाफ कदम उठाते हुए झींगा, बासमती चावल, सोना सहित विभिन्न भारतीय उत्पादों पर 25 फीसदी तक जवाबी शुल्क लगाने का प्रस्ताव लाया जा रहा है।
डिजिटल लेवी का लक्ष्य अनिवासी ई-कॉमर्स परिचालकों से कर वसूलना है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक 2020-21 में कर संग्रह 2,057 करोड़ रुपये रहा जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 1,136 करोड़ रुपये रहा था। यह आंकड़ा अंतिम किस्त चुकाने की 7 अप्रैल की समय सीमा के बाद आया है। इससे पता चलता है कि वित्त वर्ष 2021 में इक्वलाइजेशन लेवी में सालाना आधार पर 81 फीसदी की वृद्घि हुई है।  
देश के सूचना प्रौद्योगिकी केंद्र बेंगलूरु का इस कर संग्रह में 1,020 करोड़ रुपये के साथ करीब आधी हिस्सेदारी है। बड़ी आईटी कंपनियों वाले शहर हैदराबाद ने 538 करोड़ रुपये के साथ इसमें एक चौथाई का योगदान किया है। इसके बाद दिल्ली और मुंबई का स्थान है जहां से क्रमश: 323 करोड़ रुपये और 134 करोड़ रुपये का संग्रह हुआ है।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘इक्वलाइजेशन लेवी संग्रह अनुमान के मुताबिक है। लेकिन इसके पीछे का विचार संग्रह नहीं है बल्कि विदेशी कंपनियों को भारत में कर के दायरे में लाना है जो यहां पर उपयोगकर्ताओं से मोटी कमाई करते हैं लेकिन देश में उनकी भौतिक उपस्थिति नहीं है। इक्वलाइजेशन लेवी महज एक अंतरिम उपाय है। हम डिजिटल करों पर ओईसीडी में बहुपक्षीय समझौता होने का इंतजार कर रहे हैं।’
ताजे आंकड़ों के मुताबिक एक ओर जहां वित्त वर्ष 2021 में शुद्घ प्रत्यक्ष कर संग्रहों में 10 फीसदी की कमी आई वहीं इस महामारी वर्ष में देश के आईटी केंद्र बेंगलूरु ने इसें 7.3 फीसदी की वृद्घि दर्ज की है।      
20219-20 तक केवल डिजिटल विज्ञापन सेवाओं पर ही 6 फीसदी की दर से लेवी लागू था। सरकार ने पिछले वर्ष अप्रैल में इसके दायरे में विस्तार करते हुए सालाना 2 करोड़ रुपये का कारोबार करने वाली अनिवासी ई-कॉमर्स कंपनियों पर 2 फीसदी कर लगाया था। इसके दायरे में एडोब, उबर, उडेमी, जूमडॉटअस, एक्सपेडिया, अलीबाबा, आइकिया, लिंक्डइन, स्पोटिफाई और इबे जैसी कंपनियां शामिल हैं।
एएमआरजी एसोसिएट्स में पार्टनर रजत मोहन ने कहा, ‘इक्वलाइजेशन लेवी के दायरे में विस्तार के बावजूद पिछले वर्ष महामारी में उछाल आने और लोगों द्वारा सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करने के कारण ई-कॉमर्स कारोबार में उछाल देखी गई है जो लेवी के संग्रह में भी नजर आता है। सभी डिजिटल कारोबार बड़े शहरों में स्थापित हैं जिसके कारण इन शहरों के कर संग्रह में इजाफा होना लाजिमी है।’  
इस बीच अमेरिका ने अपनी धारा 301 की रिपोर्ट में कहा है कि तकनीकी दिग्गजों पर भारत की ओर से 2 फीसदी का डिजिटल कर लगाया जाना अनुचित, बोझ बढ़ाने वाला और एमेजॉन, गूगल और फेसबुक जैसी अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण है। उसने 30 अप्रैल तक भारत के खिलाफ जवाबी शुल्क लगाने के प्रस्ताव पर राय आमंत्रित की है। 10 मई को इस पर जन सुनवाई होनी है।
वास्तव में सरकार ने वित्त विधेयक 2021-22 में स्पष्टीकरण लाकर इसके दायरे को बढ़ाया जिसमें ई-कॉमर्स आपूर्ति या सेवा को शामिल किया गया।

First Published - April 13, 2021 | 11:27 PM IST

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