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विलय एवं अधिग्रहण के नियमों को सरल बनाने पर विचार कर रही सरकार

पिछले साल 30 नवंबर तक छोटी कंपनियों के विलय तथा पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी और नियंत्रक कंपनी के बीच विलय से संबंधित 53 आवेदन लंबित थे

Last Updated- March 05, 2025 | 10:31 PM IST
Office demand - micro market growth
प्रतीकात्मक तस्वीर

कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय विलय एवं अधिग्रहण के लिए प्रक्रिया संबंधी आवश्यकताओं को सरल बनाने और फास्ट ट्रैक का दायरा बढ़ाने के लिए विभिन्न मंत्रालयों से इनपुट मांग रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी है।

अधिकारी ने कहा, ‘हम हितधारक चर्चा की प्रक्रिया में हैं। फिलहाल अन्य मंत्रालयों के साथ बातचीत चल रही है। इसके बाद हम अपने प्रस्ताव को अंतिम रूप देंगे।’ केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा था कि सरकार विलय की तीव्र मंजूरी के लिए आवश्यकताओं और प्रक्रियाओं को ज्यादा बेहतर करेगी। उन्होंने कहा था कि फास्ट-ट्रैक विलय का दायरा भी बढ़ाया जाएगा और प्रक्रिया सरल होगी।

यह प्रस्ताव सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों तथा दो सूचीबद्ध कंपनियों के विलय और विभाजन से संबंधित है। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इनमें से कई बदलाव नियमों के जरिये किए जा सकते हैं, जबकि कुछ के लिए कानून में बदलाव की आवश्यकता होगी।’

विलय के फास्ट-ट्रैक तरीके में राष्ट्रीय कंपनी कानून पंचाट (एनसीएलटी) का कोई संबंध नहीं होता है और इसे छोटी कंपनियों, स्टार्टअप तथा नियंत्रक कंपनियों और उनकी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों के बीच विलय के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। कंपनी कानून के विशेषज्ञों ने कहा कि सूचीबद्ध कंपनियां पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के साथ विलय के लिए फास्ट-ट्रैक तरीके का लाभ उठाने में असमर्थ हैं क्योंकि सभी शेयरधारकों की मंजूरी आवश्यक होती है।

कॉरपोरेट प्रोफेशनल्स के साझेदार अंकित सिंघी ने कहा, ‘एक एजेंसी पर अत्यधिक बोझ है, खास तौर पर ऋणशोधन अक्षमता और दिवालिया पन संहिता के मामलों के संबंध में। पीठ सीमित हैं और कंपनी अधिनियम से संबंधित मामलों में ज्यादा वक्त लगता है।’

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल 30 नवंबर तक छोटी कंपनियों के विलय तथा पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी और नियंत्रक कंपनी के बीच विलय से संबंधित 53 आवेदन लंबित थे। 1 अप्रैल से 30 नवंबर, 2024 के बीच ऐसे 431 आवेदनों का निपटारा किया गया। मंत्रालय के आंकड़ों से पता चला कि जिन आवेदनों के लिए एनसीएलटी की मंजूरी की जरूरत होती है, उनके मामले में पिछले साल 30 नवंबर तक 309 आवेदन लंबित थे।

उद्योग के संगठन भी मंत्रालय को सुझाने के लिए मौजूदा विलय एवं अधिग्रहण व्यवस्था से संबंधित अपनी चिंताओं को व्यक्त करने के लिए अपने प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं। उद्योग के एक वरिष्ठ प्रतिनिधि ने कहा, ‘इस कवायद के पीछे मुख्य विचार अनुपालन बोझ को कम करना होना चाहिए, खास तौर छोटी कंपनियों के लिए तथा कारोबार सुगमता में सुधार करना चाहिए। साथ ही नियामकों के बीच बेहतर तालमेल होना चाहिए।’

First Published - March 5, 2025 | 10:25 PM IST

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