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ब्याज पर ब्याज माफी की योजना बनाएगी सरकार

Last Updated- December 14, 2022 | 11:06 PM IST

कर्ज भुगतान टालने (मॉरेटोरियम) की अवधि के दौरान ब्याज पर ब्याज माफ करने के लिए सरकार एक योजना तैयार करेगी। सरकार की इस योजना से छोटे कर्जधारकों को लाभ मिलेगा। हालांकि इससे सरकार को 5,000 से 7,000 करोड़ रुपये का बोझ वहन करना पड़ सकता है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय से अनुमति मिलने के बाद सरकार इस योजना के लिए एक मंत्रिमंडलीय नोट तैयार करेगी। मॉरेटोरियम के दौरान ब्याज पर ब्याज वसूलने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में सुनवाई चल रही है। सोमवार को इस मामले फिर सुनवाई होनी है।
अधिकारी ने कहा कि सरकार इसके बाद संसद के शीतकालीन सत्र में एक धन विधेयक लाएगी और चालू वित्त वर्ष के लिए संचित निधि कोष से अतिरिक्त रकम निकालेगी। अधिकारी ने कहा,’हालांकि यह अंतिम चरण की प्रक्रिया होगा। इससे पहले हमें सभी कर्जदाताओं-सरकार नियंत्रित एवं निजी बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों-से आंकड़ों की जरूरत होगी। हम उनसे मॉरेटोरियम अवधि के दौरान लगे चक्रवृद्धि ब्याज का ब्योरा मांगे। इन आंकड़ों पर विचार करने के बाद बजट प्रभाग से संपर्क किया जाएगा और प्रस्ताव मंत्रिमंडल में रखा जाएगा।’
चक्रवृद्धि ब्याज माफ करने संबंधी योजना में इस बात का जिक्र होगा कि सरकार किस तरह बैंकों से आंकड़े आने के बाद उन्हें रकम देगी। योजना में उन कर्जधारकों के लिए सांकेतिक चक्रवृद्धि ब्याज का भी आकलन किया जा सकता है, जो मॉरेटोरियम के दौरान लगातार कर्ज भुगतान कर रहे थे। अधिकारी ने कहा,’सरकार से वित्तीय लाभ के लिए बैंकों के लिए सरकार एक समय सीमा निर्धारित करेगी।’
सरकार नियंत्रित एक शीर्ष बैंक के अधिकारी ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘बैंक चकवृद्धि ब्याज की गणना करेंगे। समय पर आई किस्तों के मामले में चक्रवृद्धि ब्याज की गणना नहीं की जाएगी। इस तरह, एक सांकेतिक रकम की गणना की जाएगी और यह रकम ऐसे कर्जधारकों के खाते में दी जाएगी। बैंक ग्राहकों के खाते में रकम डाल देंगे और उसके बाद इसके लिए सरकार के पास दावा सौंपेंगे।’
इक्रा के उपाध्यक्ष अनिल गुप्ता ने शनिवार को कहा कि बैंकिंग प्रणाली में अधिकतम 30 से 40 प्रतिशत ऋण ही इस राहत के योग्य हैं, इसलिए सरकार पर 5000 से 7,000 करोड़ रुपये से अधिक बोझ नहीं होगा। गुप्ता ने कहा कि उन कर्जधारकों के खाते में ब्याज पर ब्याज की सांकेतिक रकम की गणना की जाएगी, जिन्होंने मॉरेटोरियम का लाभ नहीं लिया था। यह रकम ऐसे कर्जधारकों के मूलधन में घटाई जाएगी। भारतीय बैंक संघ (आईबीए) की गणना के अनुसार छह महीने के मॉरेटोरियम के दौरान चक्रवृद्धि ब्याज माफ करने से वित्तीय संस्थानों को लगभग 10,000 करोड़ रुपये नुकसान होगा। एक अधिकराी ने कहा,’हमें लगता है कि चक्रवृद्धि ब्याज माफी से 40 से 50 प्रतिशत ग्राहकों पर असर होगा, इसलिए सरकार पर 5,000 से अधिक बोझ नहीं पडऩा चाहिए।’
सरकार ने शुक्रवार को शीर्ष न्यायालय में दाखिल शपथपत्र में कहा कि वह छोटे कर्जधारकों के लिए चक्रवृद्धि ब्याज का बोझ वहन करने के लिए तैयार है। इसमें कहा गया कि 2 करोड़ रुपये से कम के ऋण लेने वाले सभी ग्राहक, चाहे उन्होंने मॉरेटोरियम लिया है या नहीं, चक्रवृद्धि ब्याज से छूट के योग्य होंगे। इनमें सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम, शिक्षा, आवास, उपभोक्ता वस्तु, क्रेडिट कार्ड, वाहन, व्यक्गित ऋण और उपभोग के लिए गए ऋण शामिल हैं।

First Published - October 4, 2020 | 11:08 PM IST

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