वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आज कहा कि केंद्र सरकार विभिन्न निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं का सभी बकाया जल्द जारी करेगी, जिससे निर्यातकों की नकदी की समस्या का समाधान हो सके। इसके लिए सरकार चालू वित्त वर्ष में 56,027 करोड़ रुपये देगी।
इसमें मर्केंडाइज एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम (एमईआईएस), सर्विस एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम (एसईआईएस) रिबेट आफ स्टेट लेवीज (आरओएसएल) रिबेट आफ स्टेट ऐंड सेंट्रल टैक्सेज ऐंंड लेवीज (आरओएससीटीएल) और अन्य स्क्राइप आधारित योजनाएं शामिल हैं, जिनसे ये दावे जुड़े हुए हैं। पुराने बकाये का भुगतान करने से निर्यातकों की लंबे समय से चल रही मांग पूरी होगी और इससे नकदी का प्रवाह बनाए रखने में मदद मिलेगी।
एमईआईएस योजना की जगह 1 जनवरी से लागू निर्यात किए गए उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट (आरओडीटीईपी) के लंबित कर रिफंड जारी किए जाएंगे, जो 2020-21 की जनवरी-मार्च तिमाही के हैं। इसी तरह से आरओएससीटीएल योजना के तहत बकाये, जिसका मकसद टेक्सटाइल क्षेत्र की मदद करना है, का भी भुगतान किया जाएगा, जो पहले के वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही का है।
इस कदम से 45,000 निर्यातकों को लाभ होने की उम्मीद है। इनमें से 98 प्रतिशत छोटे निर्यातक हैं जो सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम की श्रेणी में आते हैं। यह प्रगति ऐसे समय में हुई है, जब कुछ प्रमुख पश्चिमी बाजारों में रिकवरी हो रही है, जिसके परिणामस्वरूप भारत से वस्तुओं की मांग में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
गोयल ने संवाददाताओं से कहा, ‘इन कदमों से हमारे निर्यातकों को वैश्विक कारोबारियों से बराबरी के स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी और इससे हमारी तरफ से रखे गए समग्र लक्ष्य को पूरा किया जा सकेगा। मुझे भरोसा है कि आज का फैसला हमारे निर्यात को गति देने में और मदद करेगा।’ एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘इस फैसले से निर्यात प्रोत्साहनों का सभी बकाया इस वित्त वर्ष के भीतर साफ किया जा सकेगा। इससे आने वाले महीनों में निर्यात में और तेजी आएगी।’
फियो के अध्यक्ष ए शक्तिवेल ने कहा कि इस तरह के कदम से निर्यात क्षेत्र को मदद मिलेगी और नकदी की चिंता खत्म होगी तथा निर्यात क्षेत्र के नकदी का प्रवाह बरकरार रह सकेगा। उन्होंने कहा कि इससे निर्यातक विदेश से आने वाली मांग पूरी कर सकेंगे।