सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 में 1.67 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त व्यय के लिए संसद की मंजूरी मांगी है ताकि वह कोविड-19 से लड़ सके और आत्मनिर्भर भारत पैकेज में कमजोर वर्गों के लिए घोषित विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं चला सके।
संसद में पेश पत्र में कहा गया है कि लोक सभा में पटल पर रखी गईं अनुदान की अनुपूरक मांगों की पहली खेप में 2.36 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय शामिल है, लेकिन करीब 68,868 करोड़ रुपये अन्य योजनाओं में बचत के जरिये जुटाए जाएंगे।
आम तौर पर अनुपूरक मांगों में शुद्ध नकदी खर्च की तुलना में तकनीकी बचतें अधिक होती हैं, लेकिन इस बार शुद्ध नकदी खर्च अधिक है। इसकी वजह कोविड -19 से लडऩे और समाज के कमजोर वर्गों तथा लघु एवं मझोले उद्योगों को बचाने के लिए अतिरिक्त व्यय की दरकार है।
अतिरिक्त व्यय चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 0.9 फीसदी रहेगा। यह माना गया है कि चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था चालू मूल्यों पर वित्त वर्ष 2020 के मुकाबले 5 से 8 फीसदी सिकुड़ेगी। हालांकि इसका राजकोषीय घाटे पर असर काफी अधिक रहेगा क्योंकि राजस्व में भी गिरावट दिख रही है। इक्रा के अनुमानों के मुताबिक केंद्र का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2021 में जीडीपी के 7.4 फीसदी पर पहुंच जाएगा। लेकिन इस रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में चालू मूल्यों पर जीडीपी 7.5 फीसदी सिकुुड़ेगी। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘अब हमारा बुनियादी अनुमान है कि भारत सरकार का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2021 में बढ़कर कम से कम 14 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी का 7.4 फीसदी हो जाएगा।’ यह घाटा चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में ही 8.2 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है, जो बजट में पूरे वर्ष के लिए अनुमानित घाटे 7.96 लाख करोड़ रुपये से 3.1 फीसदी अधिक है। नायर का अनुमान है कि वित्त वर्ष में राजस्व में कमी करीब छह लाख करोड़ रुपये रहेगी।
केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि अगर 1.67 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त व्यय की भरपाई इतनी ही राशि की अतिरिक्त उधारी से की जाती है तो इससे राजकोषीय घाटा जीडीपी का करीब 0.8 फीसदी बढ़ेगा।
उन्होंने कहा, ‘कुल मिलाकर वित्त वर्ष 2021 में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 8 से 8.5 फीसदी पर पहुंच सकता है, जो चिंताजनक है।’ अनुदानों की अनुपूरक मांगों की प्रमुख मदों में राजकोषीय सहायता योजना के तहत नई घोषणाएं, स्वास्थ्य खर्च में बढ़ोतरी, जरूरत से कम बजट आवंटन वाले पहले के कुछ मद जैसे 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के संबंध में राजस्व घाटा अनुदान आदि शामिल हैं।
मई में 20 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा की राजकोषीय लागत 1.5 से दो लाख करोड़ रुपये थी। नायर ने यह दो लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया था। इसमें से 98,000 करोड़ रुपये अनुदान की अनुपूरक मांग के तहत रखे गए हैं।