चालू वित्त वर्ष में 30 सितंबर तक केंद्र सरकार का कर्ज सकल घरेलू उत्पाद के 56.2 प्रतिशत पर पहुंच गया, जबकि 2019-20 के अंत तक यह 46.5 प्रतिशत था। उल्लेखनीय है कि जीडीपी की तुलना में कर्ज की गणना करने के लिए 2019-20 की दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था के आकार पर विचार किया गया। ऐसे में चालू वित्त वर्ष के अंत में ये आंकड़े कुछ ज्यादा हो सकते हैं क्योंकि इस साल अर्थव्यवस्था का आकार कम हुआ है। मार्च 2020 तक राज्योंं की कुल बकाया देनदारी 25.6 प्रतिशत थी। अगर परंपरागत रूप से इस वित्त वर्ष के सितंबर तक के आंकड़ों के आधार पर अनुमान लगाया जाए तो केंद्र व राज्यों रकी कुल बकाया देनदारी करीब 80 प्रतिशत हो सकती है। राज्य व केंद्र का कर्ज एक साथ नहीं जोड़ा जाता है क्योंकि इसके एक हिस्से की गणना दोबारा हो जाती है।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘2020-21 की पहली छमाही में राजस्व को झटके और जीडीपी में संकुचन की वजह से कर्ज बढ़ा है। सार्वजनिक कर्ज और जीडीपी अनुपात में बढ़ोतरी पूरी तरह से उपेक्षा योग्य नहीं है।’ सार्वजनिक ऋण पर आज जारी आंकड़े के मुताबिक सरकार की कुल देनदारी सितंबर 2020 को खत्म हुई तिमाही में 5.6 प्रतिशत बढ़कर 107.04 लाख करोड़ रुपये हो गई। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के अंत में सरकार का बकाया कुल ऋण 101.3 लाख करोड़ रुपये था।