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परमाणु खनिजों को छोड़कर सभी खनिजों के अन्वेषण को मिली हरी झंडी, केंद्र सरकार देगी निजी एजेंसियों को अधिकार

केंद्र सरकार ने वर्ष 2023 में एमएमडीआर अधिनियम में संशोधन किया था और इसके तहत एनपीईए के तहत 29 महत्त्वपूर्ण व रणनीतिक खनिजों की अनुमति देने की शक्ति दी गई।

Last Updated- June 30, 2024 | 10:00 PM IST
परमाणु खनिजों को छोड़कर सभी खनिजों के अन्वेषण को मिली हरी झंडी, केंद्र सरकार देगी निजी एजेंसियों को अधिकार, Green signal given for exploration of all minerals except nuclear minerals, central government will give rights to private agencies

केंद्र ने एक नई योजना जारी की है जिससे निजी एजेंसियों को परमाणु खनिजों को छोड़कर अन्य सभी प्रमुख खनिजों के अन्वेषण की अनुमति मिल जाएगी। इससे पहले यह अधिकार खनिज प्रचुर राज्यों के पास था। खनन मंत्रालय की 27 जून की अधिसूचना के अनुसार राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (एनएमईटी) के जरिये प्रत्यक्ष तौर पर अधिसूचित निजी अन्वेषण एजेंसियों (एनपीईए) को शामिल करने की बात कही गई।

इससे केंद्र सरकार सभी तरह की अन्वेषण गतिविधियां, प्राथमिक सर्वेक्षण से लेकर खोजने तक की, प्रत्यक्ष तौर पर अनुमति दे पाएगी। केंद्र सरकार ने 2016 में खनन अन्वेषण में निजी क्षेत्र को उत्साहित व प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय खनन अन्वेषण योजना (एनएमईपी) की शुरुआत की थी।

केंद्र ने 2021 में खनन और खनिज (विकास व विनियमन) अधिनियम, 1957 (एमएमडीआर अधिनियम) को संशोधित किया और इसके जरिये राज्य सरकारों को खनन के लिए निजी क्षेत्र की कंपनियों को अनुमति देने की अधिसूचना जारी की गई। इन प्रयासों के बावजूद खनन अन्वेषण में निजी क्षेत्र की भागीदारी सीमित थी।

केंद्र सरकार ने वर्ष 2023 में एमएमडीआर अधिनियम में संशोधन किया था और इसके तहत एनपीईए के तहत 29 महत्त्वपूर्ण व रणनीतिक खनिजों की अनुमति देने की शक्ति दी गई। राज्यों से एनपीईए के तहत अन्वेषण की परियोजनाओं की अनुमति मिलने में देरी होती है।

इसी तरह राज्यों के जरिये परियोजनाएं जारी होने की स्थिति में एनपीईए के तहत कोष जारी करने में देरी होती है। अधिसूचना के अनुसार इससे नई योजना लागू करने में भी प्रोत्साहन मिलता है।

केंद्र के अनुसार इस पहल का उद्देश्य देश की बड़ी खनन कंपनियों को अन्वेषण क्षेत्र में आकर्षित करना है और वैश्विक कनिष्ठ खनन कंपनियों को राष्ट्रीय खनन अन्वेषण ट्रस्ट (एनएमईटी) के कोष की परियोजनाओं में भागीदारी करवाना है। इस योजना का उद्देश्य आधुनिक अन्वेषण योजनाओँ को अपनाना है। अभी एनएमईटी 5,000 करोड़ रुपये से अधिक के कोष का प्रबंधन करती है।

एनएमईटी सरकारी निकाय है और यह भारत में खनन अन्वेषण को प्रोत्साहित व धन मुहैया करवाता है। इसका ध्येय अन्वेषण गतिविधियों को बढ़ावा देना और इस क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना है। वर्ष 2021 के संशोधन के तहत निजी अन्वेषण कंपनयों को अनुमति दी गई है।

खनन मंत्रालय के अनुसार 22 एजेंसियां अधिसूचित की गई हैं। इन एजेंसियों ने एनएमईटी के जुटाए धन से अलग-अलग खनिजों में विभिन्न 31 परियोजनाएं की हैं और इन्हें 35.23 करोड़ रुपये मुहैया कराए गए थे। इनमें से 80 फीसदी कोष महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिए केंद्रित है।

ऐसा अनुमान है कि भारत ने अपनी स्पष्ट भूवैज्ञानिक क्षमता (ओजीपी) का केवल 10 फीसदी ही अन्वेषण किया है और इसमें से 2 फीसदी का ही खनन किया गया है। देश वैश्विक खनन अन्वेषण बजट का एक फीसदी से भी कम खर्च करता है। खनन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार अभी भी सरकारी एजेंसियों द्वारा लगभग दो लाख वर्ग किलोमीटर ओजीपी क्षेत्र को कवर किया जाना बाकी है। दुनिया भर में गहरे पानी में खनन कनिष्ठ खनन कंपनियां करती हैं और ये कंपनियां बड़े क्षेत्र में खनन करती हैं।

दरअसल 2021 तक भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) और खनन अन्वेषण व परामर्श लिमिटेड (एमईसीएल) देश में खनन गतिविधियां को अंजाम देती थीं। हालांकि सरकार ने देश में खनन गतिविधियां करने के लिए 25 सरकारी एजेंसियों को योग्य घोषित किया लेकिन जीएसआई और एमईसीएल ने 100 फीसदी अन्वेषण को अंजाम दिया था।

अन्वेषण के लिए अत्यधिक विशिष्ट, समय-सघन और आर्थिक रूप से जोखिम भरे संचालन वाली गतिविधियों की जरूरत होती है। भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम कोयला और लौह अयस्क जैसे सतही और थोक खनिजों का पता लगाने के लिए अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में थे, लेकिन उच्च व्यय और जोखिम भरी परियोजनाओं की लंबी अवधि के कारण गहरे व महत्त्वपूर्ण खनिजों की बात आने पर उन्होंने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था।

First Published - June 30, 2024 | 10:00 PM IST

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