मई में शुद्ध वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्राप्तियां पिछले साल के समान महीने की तुलना में 20.4 फीसदी बढ़कर 1.73 लाख करोड़ रुपये रहीं। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार सीमा शुल्क संबंधित राजस्व में तेज बढ़ोतरी और रिफंड में कमी के कारण शुद्ध जीएसटी संग्रह बढ़ा है। हालांकि अप्रैल की तुलना में मई में जीएसटी प्राप्तियों में 17 फीसदी की गिरावट आई है।
मई में सकल जीएसटी संग्रह 16.4 फीसदी बढ़कर 2.01 लाख करोड़ रुपये रहा। इसमें घरेलू लेनदेन से कर संग्रह में 13.7 फीसदी और आयात संबंधी शुल्क में 25.2 फीसदी का इजाफा हुआ है। अप्रैल में जीएसटी संग्रह 12.6 फीसदी बढ़कर 2.4 लाख करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था।
केपीएमजी में अप्रत्यक्ष कर के प्रमुख और पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा कि सकल जीएसटी संग्रह एक बार फिर 2 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंचना उत्साहजनक है। उन्होंने कहा, ‘अप्रैल में वित्त वर्ष के समाप्त होने (मार्च के लेनदेन के आधार पर) के कारण कुल जीएसटी संग्रह बढ़ा था मगर मई में भी 16 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि आर्थिक गतिविधियों में तेजी को दर्शाती है।’
अप्रैल में 11.9 करोड़ ईवे बिल जेनरेट किए गए, जो किसी भी महीने का दूसरा सबसे अधिक आंकड़ा है और मई के जीएसटी संग्रह में यह परिलक्षित हुआ। वित्त मंत्रालय द्वारा पिछले हफ्ते जारी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा गया था, ‘ज्यादा ईवे-बिल जेनरेट होने से संकेत मिलता है कि कारोबारी गतिविधियां अच्छी हैं और मई में जीएसटी संग्रह के आंकड़े अच्छे रह सकते हैं।’
डेलॉयट इंडिया में पार्टनर एमएस मणि ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 में हर महीने सकल जीएसटी संग्रह औसतन 1.84 लाख करोड़ रुपये रहा था मगर मई में 2.01 लाख करोड़ रुपये का जीएसटी राजस्व सरकार को राजकोषीय सहूलियत प्रदान करेगा। उन्होंने कहा, ‘यह आंकड़ा सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि के अनुमान के अनुरूप भी है जिसमें बेहतर खपत रुझान का संकेत मिलने की बात कही गई है।’
वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर विश्लेषकों के अनुमान से बेहतर 7.4 फीसदी रही। ईवाई में पार्टनर सौरभ अग्रवाल ने कहा कि अप्रैल की तुलना में सकल जीएसटी संग्रह में 21 फीसदी की गिरावट ग्राहकों के कम खर्च को दर्शाती है।
अग्रवाल ने कहा, ‘अप्रैल के उच्च संग्रह में संभवतः वित्त वर्ष के अंत में बिज़नेस-टू-बिज़नेस बिक्री में वृद्धि की बदौलत तेजी आई थी लेकिन मई में कमी वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण उपभोक्ता खर्च में कुछ बदलाव की ओर इशारा करती है।’