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110 डॉलर पहुंचा कच्चा तेल तो RBI को बढ़ानी पड़ सकती हैं ब्याज दरें: मॉर्गन स्टेनली

दुनिया में तेल के तीसरे सबसे बड़े उपभोक्ता के रूप में, भारत कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर एशिया में सबसे ज्यादा प्रभावित अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।

Last Updated- November 06, 2023 | 4:48 PM IST
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अगर लंबे समय तक तेल की कीमतें 110 डॉलर प्रति बैरल के आसपास रहती हैं, तो मॉर्गन स्टेनली (Morgan Stanley) का अनुमान है कि इससे भारत की आर्थिक स्थिरता को खतरा हो सकता है, जिससे संभावित रूप से केंद्रीय बैंक (RBI) को ब्याज दरों में वृद्धि फिर से करनी पड़ सकती है।

दुनिया में तेल के तीसरे सबसे बड़े उपभोक्ता के रूप में, भारत कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर एशिया में सबसे ज्यादा प्रभावित अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। मॉर्गन स्टेनली के अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि तेल की कीमतों में 10 डॉलर की बढ़ोतरी से मुद्रास्फीति 50 बेसिस पॉइंट तक बढ़ जाती है और करंट अकाउंट बैलेंस में 30 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी होती है।

कच्चे तेल की कीमतें भारतीय अर्थव्यवस्था को कर सकती है अस्थिर

मॉर्गन स्टेनली ने चेतावनी दी है कि अगर तेल 110 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चला गया तो यह भारत की अर्थव्यवस्था को अस्थिर कर सकता है। इससे घरेलू ईंधन की कीमतें बढ़ सकती हैं और मुद्रास्फीति पर प्रभाव पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त, करंट अकाउंट डेफिसिट के GDP की 2.5% सीमा से ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है।

चेतन आह्या के नेतृत्व में मॉर्गन स्टेनली के अर्थशास्त्रियों ने रविवार को एक नोट में लिखा, “भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रहा है और यह आरबीआई को फिर से ब्याज दरें बढ़ाने के लिए मजबूर कर सकता है।”

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लगातार 4 बार ब्याज दरें अपरिवर्तित रख चुका है RBI

आरबीआई ने लगातार चार बार अपनी ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखा है, लेकिन चेतावनी दी है कि अगर मुद्रास्फीति ऊंची रही तो वह भविष्य में दरें बढ़ा सकता है। आरबीआई को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में मुद्रास्फीति उसके 4% के लक्ष्य से ऊपर रहेगी।

आरबीआई कच्चे तेल की 85 डॉलर प्रति बैरल की कीमत पर अपना पूर्वानुमान लगा रहा है, यह महत्वपूर्ण है क्योंकि तेल की कीमतें भारत में मुद्रास्फीति का प्रमुख चालक हैं। यदि तेल की कीमतें 85 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर बढ़ती हैं, तो इससे मुद्रास्फीति बढ़ सकती है और आरबीआई को ब्याज दरें बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।

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95 डॉलर तक रहीं तेल की कीमतें, तो संभाल लेगा भारत

मॉर्गन स्टेनली का मानना है कि अगर तेल की कीमतें 95 डॉलर प्रति बैरल पर रहती हैं, तो भारतीय अर्थव्यवस्था मैनेज में सक्षम होगी और आरबीआई के लिए ब्याज दरों को मौजूदा स्तर पर बनाए रखने की ज्यादा संभावना होगी।

भारत में कच्चे तेल की कीमतें नवंबर में थोड़ी कम होकर औसतन 87.09 डॉलर प्रति बैरल पर आ गईं, जबकि अक्टूबर में यह 90.08 डॉलर प्रति बैरल पर थीं। वैश्विक बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड सोमवार को 85 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर कारोबार कर रहा था।

First Published - November 6, 2023 | 4:35 PM IST

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