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मामले घटे तो लोगों की बढ़ी आवाजाही

Last Updated- December 12, 2022 | 3:56 AM IST

कोविड-19 महामारी के कमजोर पडऩे के संकेत मिलने शुरू हो गए हैं। संक्रमण के नए मामलों में कमी के बाद लोगों ने अब अपने घरों से बाहर निकलना शुरू कर दिया है। लोगों की आवाजाही और यातायात का हाल बताने वाले संकेतक हालात में सुधार के संकेत दे रहे हैं। देश में रोजाना दर्ज होने वाले कोविड-19 संक्रमण के मामले कम होकर 1 लाख के आसपास रह गए हैं। मई के शुरू में रोजाना नए संक्रमण के मामले 4 लाख से अधिक हो गए थे।
लोग अब अपने घरों पर पहले की तरह समय नहीं बिता रहे हैं। उनकी आवाजाही पर नजर रखने वाले गूगल के आंकड़े भी बता रहे हैं कि लोग अपने कार्यालयों की तरफ रुख करने लगे हैं। गूगल उन जगहों पर नजर रखती है जहां लोग महामारी के दौरान जा रहे हैं। ये आंकड़े वास्तविक  समय से कुछ दिनों के अंतराल पर जारी होते हैं। ताजा आंकड़े 2 जून तक के हैं। देश के बड़े शहरों में यातायात जोर पकड़ रहा है। टॉम टॉम इंटरनैशनल के अनुसार मुंबई और नई दिल्ली दोनों महानगरों में सड़कों पर लोगों एवं वाहनों की भीड़ देखी जा सकती है।
उत्सर्जन में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। बिज़नेस स्टैंडर्ड देश के प्रमुख शहरों में नाइट्रोजन उत्सर्जन पर ध्यान केंद्रित करता है। वाहनों की आवाजाही और औद्योगिक गतिविधियों से हवा में नाइट्रोजन डॉइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है। दिल्ली में उत्सर्जन पिछले सप्ताह के तुलना में अधिक है, हालांकि यह 2019 के स्तर से अब भी कम है। मुंबई में भी उत्सर्जन में इजाफा हुआ है। बिजली की मांग में भी पहले की तुलना में इजाफा हुआ है। राज्यों में विभिन्न आर्थिक गतिविधियां धीरे-धीरे शुरू करने की अनुमति देने से बिजली की मांग बढऩा लाजिमी है। वर्ष 2020 की समान अवधि के मुकाबले पिछले सप्ताह बिजली की मांग में 12 प्रतिशत तेजी देखी गई। हालांकि वर्ष 2019 की तुलना में जून 2021 के पहले सप्ताह में बिजली की मांग करीब 9.5 प्रतिशत कम रही है। पिछले दो सप्ताहों के मुकाबले बिजली की मांग में करीब 15 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
जून 2020 के पहले सप्ताह के मुकाबले भारतीय रेल से माल ढुलाई में भी तेजी देखी गई। थमी गतिविधियां एकाएक शुरू होने से इस वर्ष आंकड़े अधिक प्रतीत हो रहे हैं। माल ढुलाई बढऩे के साथ ही उनसे प्राप्त होने वाली कमाई भी बढ़ गई है।
गूगल को छोड़कर बाकी सभी आंकड़े रविवार 6 जून तक के हैं। वृहद आर्थिक आंकड़े जारी होने से पहले ये संकेतक जमीनी स्थिति का एक मोटा अंदाजा देते हैं। सरकार अक्सर आंकड़े कुछ देरी के साथ जारी करती है। कोविड-19 महामारी पर अंकुश लगाने के लिए दुनिया के कई देशों में लॉकडाउन लगा दिया गया था। तब से दुनिया भर के विश्लेषक अर्थव्यवस्था के मिजाज का अंदाजा लगाने के लिए इन्हीं संकेतकों का अध्ययन करते आ रहे हैं।

First Published - June 7, 2021 | 11:32 PM IST

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