खरीदारी और लोगों की आवाजाही के संकेतकों ने आर्थिक सुधार में मजबूती की ओर इशारा किया है। देश में कोविड-19 के मामलों में कमी दिख रही है। मई महीने में जहां कोविड के मामले रोजाना 4 लाख से अधिक दर्ज किए जा रहे थे, वहीं पिछले हफ्ते तक रोजाना 40,000 से कम मामले देखे गए हैं जिसका अंदाजा कोविड19इंडिया डॉट ओआरजी वेबसाइट से मिलता है।
देश की वित्तीय राजधानी मुंबई में यातायात, महामारी से पहले के समय के 90 फीसदी के स्तर पर देखा गया है। वैश्विक लोकेशन तकनीक कंपनी टॉमटॉम इंटरनैशनल के डेटा के मुताबिक नई दिल्ली में यातायात सामान्य दौर के 85 फीसदी के स्तर पर आ गया है। लोग कई कारणों से बाहर ज्यादा निकल रहे हैं लेकिन आवश्यक चीजों की खरीदारी, खुदरा क्षेत्रों और मनोरंजन के लिए लोगों में बाहर निकलने का रुझान बढ़ा है। किराने का सामान और दवाओं की खरीदारी महामारी से पहले के समय की तुलना में 31.1 फीसदी अधिक है।
खुदरा कामों और मनोरंजन के लिए बाहर निकलने वालों की तादाद कोविड से पहले के दौर के मुकाबले करीब 85 फीसदी तक देखी गई। मोबिलिटी डेटा, सर्च इंजन गूगल के अनाम स्थान डेटा पर आधारित है। यह डेटा एक अंतराल के साथ जारी किए जाते हैं। ताजा आंकड़े 17 अगस्त के हैं।
बिज़नेस स्टैंडर्ड नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन का जायजा लेता है। इस गैस का उत्सर्जन औद्योगिक गतिविधि और वाहनों से होता है। दिल्ली में इस गैस का उत्सर्जन लगभग 2019 के स्तर पर था। बांद्रा इलाके के आंकड़ों के आधार पर देखा जाए तो मुंबई का उत्सर्जन अब सामान्य स्तर पर लौट आया है। भारतीय रेलवे ने भी माल की मात्रा में मजबूत वृद्धि देखी है। यह मात्रा पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में रविवार को खत्म हुए सप्ताह में 19.6 फीसदी अधिक थी। माल ढुलाई से होने वाली आमदनी 20.8 फीसदी अधिक थी।
बिजली की मांग पिछले हफ्ते मजबूत बनी रही लेकिन दो साल के उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद साप्ताहिक आधार पर इसमें कमी आई। 22 अगस्त को खत्म हुए सप्ताह के दौरान रोजाना औसतन 430 करोड़ यूनिट से अधिक बिजली का उत्पादन किया गया था जो पिछले सप्ताह के दैनिक औसत से थोड़ा कम है। हालांकि 2020 और 2019 के इसी सप्ताह के मुकाबले उत्पादन में लगभग 20 प्रतिशत वृद्धि हुई।
बिजली की मांग में वृद्धि की वजह, देश भर में मॉनसून की बारिश में कमी के अलावा प्रमुख शहरों में औद्योगिक गतिविधियों में वृद्धि, खुदरा एवं मनोरंजन के क्षेत्र की अवधि का सामान्य होना है। बिज़नेस स्टैंडर्ड इन संकेतकों पर नजर रखता है ताकि यह अंदाजा मिल सके कि आधिकारिक डेटा के जारी होने से पहले अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन कैसा है। सरकारी आंकड़े अक्सर अंतराल के बाद जारी किए जाते हैं।
वैश्विक स्तर पर विश्लेषकों ने जमीन पर तेजी से बदलती स्थिति का अंदाजा लेने के लिए ऐसे संकेतकों का जायजा लिया है क्योंकि विभिन्न देशों में महामारी को नियंत्रित करने के लिए लॉकडाउन लगाया गया। गूगल को छोड़कर सभी डेटा, रविवार 22 अगस्त के हैं।