India growth forecast by IMF: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर का अपना अनुमान 20 आधार अंक (basis point) बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया। IMF ने अपने नए विश्व आर्थिक अनुमान में भारत के ग्रामीण इलाकों में बढ़ते निजी उपभोग के कारण वृद्धि दर बढ़ने की बात कही है।
संस्था ने अनुमान में कहा है, ‘इस साल के लिए भारत का वृद्धि अनुमान भी बढ़ाकर 7 फीसदी किया गया है। यह विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में निजी उपभोग बढ़ने की संभावना दर्शाता है।’
IMF को उम्मीद है कि FY26 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर (GDP growth rate) घटकर 6.5 प्रतिशत हो जाएगी, जो इसके अप्रैल वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (WEO) में भी पूर्वानुमानित थी। IMF ने WEO के अपडेट में कहा, ‘भारत में वृद्धि के लिए पूर्वानुमान को भी 7.0 प्रतिशत तक ऊपर की ओर रिवाइज (upward revisions) किया गया है। इस बदलाव में 2023 में ग्रोथ के लिए ऊपर की ओर रिवाइज और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में निजी खपत के बेहतर संभावनाओं का योगदान है।’
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी अस्थायी अनुमानों (NSO’s provisional estimates) के अनुसार, FY24 में GDP 8.2 प्रतिशत बढ़ी, जो FY23 में दर्ज 7 प्रतिशत से अधिक थी और चौथी तिमाही में 7.8 प्रतिशत की उम्मीद से अधिक वृद्धि से सहायता मिली।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने FY25 में अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले महीने कहा था कि भारत अपनी ग्रोथ ट्रैजेक्टरी में ‘एक बड़े संरचनात्मक बदलाव’ के कगार पर है। उन्होंने कहा कि देश एक ऐसे रास्ते की ओर बढ़ रहा है जहां सालाना GDP ग्रोथ 8 प्रतिशत के साथ लंबे समय तक स्थिर रह सकती है।
IMF रिपोर्ट ने कैलेंडर वर्ष 2024 (CY2024) के लिए चीन की वृद्धि दर के पूर्वानुमान को 40 बेसिस पॉइंट बढ़ाकर 5 प्रतिशत कर दिया है, जिसका कारण निजी खपत में फिर से सुधार और पहली तिमाही में मजबूत निर्यात है। कैलेंडर वर्ष के आधार पर, भारत की ग्रोथ रेट के पूर्वानुमान 2024 में 7.3 प्रतिशत और 2025 में 6.5 प्रतिशत हैं।
IMF के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गौरीनचास (Pierre-Olivier Gourinchas) ने कहा कि एशिया की उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाएं (emerging market economies) वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए मुख्य इंजन बनी हुई हैं।
गौरीनचास ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा, ‘भारत और चीन में ग्रोथ का रिवीजन ऊपर की ओर है और यह वैश्विक वृद्धि का लगभग आधा हिस्सा बनाता है। फिर भी अगले पांच वर्षों के लिए संभावनाएं कमजोर बनी हुई हैं, जिसका मुख्य कारण उभरते एशिया में मोमेंटम की कमी है।’
IMF का वैश्विक वृद्धि पूर्वानुमान (global growth projections) 2024 कैलेंडर वर्ष के लिए 3.2 प्रतिशत और 2025 में थोड़ा अधिक 3.3 प्रतिशत पर बरकरार है।
IMF ने 2024 में वैश्विक मुद्रास्फीति (global inflation) के 6.7 प्रतिशत से घटकर 5.9 प्रतिशत होने की भविष्यवाणी की है, जो एक सॉफ्ट लैंडिंग के लिए व्यापक रूप से ट्रैक पर है।
गौरीनचास ने कहा कि अच्छी खबर यह है, ‘अर्थव्यवस्था पर दबाव धीरे-धीरे कम हुआ और साथ-साथ महंगाई दर बिना मंदी के कम हो गई। बुरी खबर यह है कि ऊर्जा और खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति (energy and food price inflation) अब कई देशों में लगभग पूर्व-महामारी स्तर पर वापस आ गई है, जबकि कुल मुद्रास्फीति नहीं।’