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आईएमएफ ने घटाया वृद्धि अनुमान

Last Updated- December 12, 2022 | 2:21 AM IST

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की वृद्धि दर का अनुमान 300 आधार अंक घटाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया है। इसके पहले अप्रैल में 12.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया था। वहीं एजेंसी ने वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 6 प्रतिशत बरकरार रखा है।
आईएमएफ में मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि ‘टीके तक पहुंच कम होने’ और कोरोनावायरस की लहर फिर से आने की संभावना को देखते हुए आर्थिक वृद्धि का अनुमान घटाया गया है।
चालू वित्त वर्ष में भारत के लिए आईएमएफ का अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान के अनुरूप है, लेकिन विश्व बैंक इसकी तुलना में थोड़ा आशावादी है।
विश्व बैंक ने 2021 में भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8.3 प्रतिशत और 2022 में 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, भले ही कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण रिकवरी कमजोर पड़ी है।
मुद्राकोष ने मंगलवार को जारी ताजा विश्व आर्थिक परिदृश्य (डब्ल्यूईओ) में कहा, ‘इस साल मार्च-मई के दौरान कोविड महामारी की दूसरी गंभीर लहर को देखते हुए भारत में वृद्धि की संभावना को कम किया गया है। इससे भरोसे में सुधार की गति भी धीमी पडऩे की आशंका है।’
एक ब्लॉगपोस्ट में गोपीनाथ ने कहा है, ‘ये संशोधन महामारी के दौरान विकास में महत्त्वपूर्ण अंतर को दर्शाते हैं। इसकी एक प्रमुख वजह डेल्टा किस्म का फैलना है। विकसित देशों में लगभग 40 प्रतिशत आबादी को पूरी तरह से टीका लगाया गया है। वहीं उभरती अर्थव्यवस्थाओं में 11 प्रतिशत और कम आय वाले विकासशील देशों में टीकाकरण की दर बहुत कम है। उन्होंने कहा, ‘अपेक्षा से अधिक तेजी से टीकाकरण और सामान्य स्थिति में लौटने के कारण कुछ मामलों में अनुमान को बढ़ाया गया है जबकि कुछ देशों में टीकाकरण की धीमी गति और विशेष रूप से भारत में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के प्रभाव को देखते हुए अनुमान को घटाया गया है।’
बहरहाल आईएमएफ को लगता है कि अगले वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 23) में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि दर 8.5 प्रतिशत रहेगी, जो उसके पहले के अनुमान की तुलना में 160 आधार अंक ज्यादा है। अगर ऐसा होता है तो भारत सबसे तेजी से बढऩे वाली बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा, जिसके निकट प्रतिस्पर्धी चीन की वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
हालांकि रिपोर्ट में चेताया गया है कि तेज रिकवरी निश्चित नहीं है क्योंकि वायरस और उसके म्यूटेशन को लेकर बड़ी आबादी आशंकित है। इसमं कहा गया है, ‘उन देशों, खासकर भारत में रिकवरी को झटका लगा है, जहां दूसरी लहर का प्रकोप रहा है।’
आईएमएफ की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब भारत सरकार ने कहा है कि भारत में 44.19 करोड़ टीके लग चुके हैं, जो विश्व में सर्वाधिक है।
केयर रेटिंग के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘मेरे खयाल से टीकाकरण से ज्यादा तीसरी लहर के भय ने अर्थव्यवस्था खुलने की रफ्तार सुस्त कर दी है। इसने प्रक्रिया को पीछे ढकेल दिया है। टीकाकरण चल रहा है, लेकिन इसका जुड़ाव अर्थव्यवस्था के खुलने से नहीं है।’
रिपोर्ट के मुताबिक जिन देशों में टीकाकरण का कवरेज ज्यादा है, जैसे ब्रिटेन व कनाडा, वहां आर्थिक दुष्प्रभाव कम होगा। बहरहाल टीकाकरण में पीछे छूटने वाले भारत और इंडोनेशिया जैसे देशों को जी-20 देशों में सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा। इसके कारण अर्थव्यवस्था में आपूर्ति की क्षमता प्रभावित होगी।
आईएमएफ ने कहा कि उभरते बाजारों व विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में 2021 के लिए वृद्धि का अनुमान कम किया गया है, खासकर उभरते एशिया में। इसके विपरीत विकसित देशों में अनुमान बढ़ाया गया है। यह बदलाव महामारी की प्रगति और नीतिगत समर्थन में बदलाव को दिखाता है।
बहरहाल सार्वजनिक निवेश और कुल मिलाकर वित्तीय समर्थन को देखते हुए चीन के लिए 2021 का अनुमान 0.3 प्रतिशत अंक कम किया गया है।
फंड के अनुमान के मुताबिक महामारी ने विकसित देशों में प्रति व्यक्ति आमदनी 2.8 प्रतिशत कम कर दी है, वहीं उभरते देशों व चीन को छोड़कर विकासशील देशों में प्रति व्यक्ति सालाना आमदनी 6.3 प्रतिशत कम हुई है। 

First Published - July 27, 2021 | 11:43 PM IST

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