मंदी का असर सरकार के अंतरिम बजट में भी देखा गया। चालू वित्त वर्ष के लिए राजस्व प्राप्ति लक्ष्य में संशोधन किया है।
पहले राजस्व संग्रह का लक्ष्य 602,935 करोड़ रुपये था, जिसे 6.7 फीसदी घटाकर 5,62,173 करोड़ रुपये कर दिया है। सरकार का कहना है कि आर्थिक मंदी की वजह से कर संग्रह प्रभावित हुआ है। हालांकि सरकार की ओर से उठाए कदमों की वजह से मांग बढ़ेगी, जिससे अर्थव्यवस्था में भी सुधार आएगा।
वित्त वर्ष 2009-10 में राजस्व प्राप्ति 8.4 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया गया है, जो 6,09,551 करोड़ रुपये हो जाएगा। सरकार की ओर से अंतरिम बजट में कर की दर या किसी अन्य क्षेत्रों के लिए कर में राहत की बात भी नहीं की गई। चालू वित्त वर्ष में राजस्व संग्रह में गिरावट की वजह उत्पाद शुल्क वसूली में कमी है।
दरअसल, दिसंबर में सरकार की ओर से उत्पाद शुल्क में 4 फीसदी कटौती की घोषणा का असर भी इस पर पड़ा है। इसके साथ ही आयकर, कॉरपोरेट टैक्स और सीमा शुल्क संग्रह में भी गिरावट आई है। केवल सेवा कर संग्रह में ही कुछ बढ़ोतरी देखी गई और इसकी वसूली अनुमान से कुछ ज्यादा ही रही।
प्रवण मुखर्जी ने अपने भाषण के दौरान कहा कि कर संग्रह में गिरावट की मुख्य वजह मंदी से निपटने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए वित्तीय कदम हैं। सरकार की ओर से दिसंबर 2008 में केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कटौती की गई। इसके साथ ही कर छूट जैसे अन्य कदमों की वजह से करीब 40,000 करोड़ रुपये की राहत दी गई। इससे राजस्व पर असर पड़ा है।
चालू वित्त वर्ष में शुद्ध कर प्राप्तियां 8 फीसदी घटकर 4,65,970 करोड़ रुपये रह गई, जबकि पहले 5,07,150 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया गया था। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय राजस्व प्राप्तियों में दो तरह के उपागमों का शामिल किया जाता है-शुद्ध कर प्राप्तियां और गैर-कर प्राप्तियां।
शुद्ध कर प्राप्तियों में राज्यों को हिस्सा देने के बाद, जो बचता है, उसे शामिल किया जाता है। मंदी की वजह से चालू वित्त वर्ष में सीमा और उत्पाद शुल्क संग्रह में क्रमश: 9 फीसदी और 21 फीसदी कमी का अनुमान है। सकल घरेलू उत्पाद से तुलना करें, तो कुल कर संग्रह को घटाकर 11.6 फीसदी किया गया है, जबकि पहले 13 फीसदी का अनुमान किया गया था।
वर्ष 2009-10 के लिए जीडीपी और कर अनुपात का अनुमान 11.1 फीसदी लगाया गया है। वर्ष 2009-10 में गैर कर प्राप्तियां 16 फीसदी बढ़कर 1,11,955 करोड़ रुपये पहुंचने का अनुमान है। वर्ष 2008-09 के लिए 96,203 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया गया था।
वर्ष 2009-10 में कर प्राप्तियों में बढ़ोतरी मुख्यत: प्रत्यक्ष करों और सेवा कर से होने का अनुमान है। सरकार का अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष में शुद्ध कर प्राप्ति 6.7 फीसदी बढ़कर 4,97,596 करोड़ रुपये हो जाएगा, जो मुख्य रूप से प्रत्यक्ष कर और सेवा कर संग्रह से आएगा।
कुल कर संग्रह में 8.6 फीसदी गिरावट का अनुमान है और यह घटकर 6,27,947 करोड़ रुपये हो सकता है। प्रत्यक्ष कर की बात करें, तो कॉरपोरेशन कर और आयकर में अगले वित्त वर्ष के दौरान 10 फीसदी बढ़ोतरी का अनुमान है।
हालांकि मंदी की वजह से सरकार ने कॉरपोरेट कर और आयकर संग्रह अनुमान को क्रमश: 1.9 फीसदी और 11.3 फीसदी घटा दिया है। उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क में भी अगले वित्त वर्ष के दौरान 2 फीसदी बढ़ोतरी का अनुमान है। वित्त वर्ष 2009-10 में सेवा कर संग्रह भी करीब 6 फीसदी बढ़ने का अनुमान है।
गैर-कर प्राप्तियों, जिसमें लाभांश और मुनाफा शामिल है, उसमें 6.9 फीसदी की गिरावट का अनुमान है। हालांकि अन्य गैर-कर प्राप्तियों में बढ़ोतरी का अनुमान है।
⇔चालू वित्त वर्ष में राजस्व संग्रह का लक्ष्य 602,935 करोड़ रुपये से घटाकर 5,62,173 करोड़ रुपये किया
⇔राजस्व संग्रह में गिरावट की वजह है उत्पाद शुल्क में दी गई छूट
⇔अगले वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष कर संग्रह में बढ़ोतरी का अनुमान