facebookmetapixel
रेट कट का असर! बैंकिंग, ऑटो और रियल एस्टेट शेयरों में ताबड़तोड़ खरीदारीTest Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासा

वित्त वर्ष 23 में राज्यों की वित्तीय सेहत में सुधार, मगर कर्ज अभी भी उच्च स्तर पर : RBI रिपोर्ट

समेकन की प्रमुख वजह राजस्व व्यय में गिरावट और राज्य जीएसटी के माध्यम से राज्यों का खुद का कर राजस्व बढ़ना है

Last Updated- June 28, 2023 | 10:16 PM IST
States’ improve financial profile in Fy23: FSR ; Yet debt levels stay high, warranting further consolidation
Business Standard

कोविड महामारी की विपरीत परिस्थितियों के बाद वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान राज्यों की वित्तीय सेहत में तेज सुधार हुआ है।

वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) के मुताबिक राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों (UT) का समेकित सकल राजकोषीय घाटा (GFD) वित्त वर्ष 21 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 4.1 प्रतिशत के शीर्ष स्तर पर था। यह वित्त वर्ष 22 और वित्त वर्ष 23 में 2.8 प्रतिशत रह गया। एफएसआर के मुताबिक यह स्तर वित्त वर्ष 23 के 3.4 प्रतिशत बजट अनुमान की तुलना में बहुत कम है।

समेकन की प्रमुख वजह राजस्व व्यय में गिरावट और राज्य जीएसटी के माध्यम से राज्यों का खुद का कर राजस्व बढ़ना है।

चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 24) में राज्यों ने जीएफडी-जीडीपी अनुपात 3.2 प्रतिशत रखा है, जो केंद्र सरकार द्वारा तय सांकेतिक लक्ष्य 3.5 प्रतिशत से कम है। वित्त वर्ष 23 में जीएफडी 2.8 प्रतिशत था। इसके पहले के साल (वित्त वर्ष 21) में यह बहुत ज्यादा था, क्योंकि कोविड-19 की पहली लहर का बुरा असर पड़ा था।

भारतीय रिजर्व बैंक के एफएसआर में कहा गया है कि राज्यों का पूंजीगत व्यय 2021-22 में जीडीपी के 2.5 प्रतिशत के बराबर पहुंच गया था और 2022-23 में भी यह इतना ही बना रहा।

राज्यों का पूंजीगत व्यय 2023-24 के बजट अनुमान में जीडीपी के 3.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। वहीं दूसरी ओर राजस्व व्यय 2021-22 के जीडीपी के 14.2 प्रतिशत से घटकर 2022-23 (पीए) में 13.5 प्रतिशत रह गया। इसकी वजह से व्यय की गुणवत्ता में सुधार आया है।

राज्यों के राजस्व व्यय और पूंजीगत आवंटन (आरईसीओ) का अनुपात 2020-21 के 7.1 की तुलना में सुधरकर 2023-24 में बजट अनुमान के मुताबिक 5.1 प्रतिशत हो गया है।

राज्यों द्वारा राजकोषीय समेकन के गंभीर प्रयास से उनकी कुल बकाया देनदारी में भी पिछले 3 साल में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। मार्च 2021 के अंत में यह 15 साल के शीर्ष स्तर जीडीपी के 31 प्रतिशत के बराबर था, जो मार्च 2023 के अंत में घटकर जीडीपी के 27.9 प्रतिशत पर आ गया है।

First Published - June 28, 2023 | 10:16 PM IST

संबंधित पोस्ट