भारतीय रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था पर दी गई रिपोर्ट में कहा है कि आर्थिक गतिविधियां गति पकड़ रही हैं लेकिन कोरोनावायरस के संक्रमण में तेजी आने की वजह से अनिश्चितता बनी हुई है।
रिजर्व बैंक की बुलेटिन से जुड़ी इस रिपोर्ट में कहा गया है, ‘मजबूत रिकवरी और इसका दायरा व्यापक होने से उम्मीद बढ़ी है, लेकिन परिदृश्य को लेकर भारी अनिश्चितता बनी हुई है।’ कोविड-19 के मामले कम होने और टीकाकरण के साथ भारत में आर्थिक गतिविधियां गति पकड़ रही हैं, जिससे उम्मीदें बढ़ी हैं।
इसमें कहा गया है, ‘कुल मिलाकर मांग के सभी कारकों ने वृद्धि दिखानी शुरू कर दी है। सिर्फ निजी निवेश में सुस्ती है और इस क्षेत्र के बने रहने के लिए यह उपयुक्त है। नकदी के लिए उठाए गए व्यापक कदम का असर व्यवस्था की मौद्रिक व वित्तीय स्थिति पर दिख रहा है।’
तीसरी तिमाही में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) धनात्मक है, जबकि पहली तिमाही में संकुचन था। अग्रिम अनुमानों से भी पता चलता है कि खाद्यान्न उत्पादन 2020-21 में रिकॉर्ड उच्च स्तर 30.3 करोड़ टन रहेगा और रबी और खरीफ सत्र की सभी प्रमुख फसलों का उत्पादन बेहतर रहेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कारोबार फिर से शुरू होने और ग्राहकों के दुकानों व कार्यालय में पहुंचना शुरू करने से भारतीय अर्थव्यवस्था में गति आई है। हालांकि दलहन का उत्पादन एक साल पहले की तुलना में 6 प्रतिशत ज्यादा होने की वजह से महंगाई पर असर पड़ा है, और खाद्य महंगाई के मोर्चे पर दबाव कम है, लेकिन प्रमुख महंगाई ध्यान खींच रही है।
पेट्रोलियम उत्पादों पर ज्यादा उत्पाद शुल्क चिंता का विषय है, लेकिन राजस्व के अन्य मदों में वृद्धि से दबाव कम हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे ‘पेट्रोल डीजल और रसोई गैस की कीमतों में कमी लाई जा सकती है और महंगाई के परिदृश्य में सुधार हो सकात है व ग्राहकों को राहत दी जा सकती है।’
अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के हिसाब से भारत के लिए यह जरूरी है कि वह महंगाई में कमी करे और ढांचागत सुधार करके, जिससे कि उत्पादकता और कुशलता में वृद्धि हो सके। बहरहाल सरकार को अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देना होगा और ठीक इसी समय सतत वित्त सुनिश्चित करना होगा।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘मौद्रिक प्राधिकारी इसी तरह के ऊहापोह से लड़ रहे हैं और ब्याज दर के ढांचे में क्रमिक सुधार की जरूरत बनी हुई है, क्योंकि बड़े पैमाने पर उधारी की जरूरत है।’
नीति से जुड़े अधिकारी प्रतिबद्धता और दृढ़ता दिखा रहे हैं, लेकिन अनिश्चितता के कारण बाजार में उतार-चढ़ाव बना हुआ है। इसमें कहा गया है, ‘अशांति के इस भंवर में साझा समझ और सामान्य उम्मीदें प्रमुख हो सकती हैं।’
रिजर्व बैंक ने इस इस बात पर जोर दिया है कि प्रतिफल का क्रमिक बदलाव सबके लिए बेहतर हो सकता है, जिसे रिजर्व बैंक गवर्नर पहले ही कह चुके हैं। इस समय इस बात को लेकर थोड़ा संदेह है कि खपत बहाल होने को लेकर सुधार चल रहा है और समग्र मांग के सभी कारकों ने गति पकडऩा शुरू करक दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘लेकिन निजी क्षेत्र की कार्रवाई गायब है, जिसमें जल्द सुधार हो सकता है।’