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संकटग्रस्त क्षेत्रों के लिए आएगा प्रोत्साहन पैकेज

Last Updated- December 14, 2022 | 9:24 PM IST

नरेंद्र मोदी सरकार कोविड-19 महामारी से तबाह अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए एक और वित्तीय प्रोत्साहन की घोषणा कर सकती है। इस प्रोत्साहन में संकट झेल रहे क्षेत्रों, शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के मध्य आय वर्ग के लोगों और रोजगार सृजन पर जोर रह सकता है। इस विषय की जानकारी रखने वो तीन अधिकारियों ने यह बात कही। अधिकारियों ने कहा कि सरकार को लगता है कि कोविड-19 महामारी से बेहाल अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए इन क्षेत्रों के लिए उपाय जरूरी हैं।
सरकार तीन वित्तीय प्रोत्साहनों की घोषणा पहले की कर चुकी है। इस प्रोत्साहन में मांग बढ़ाने पर अधिक जोर होगा। तीसरे प्रोत्साहन में अवकाश भत्ता रियायत (एलटीसी) के रास्ते मांग बढ़ाने पर जोर देने की कोशिश की गई थी। चौथे प्रोत्साहन उपायों की अगले कुछ दिनों में घोषणा की जा सकती है। हालांकि सरकार सीधे नकदी देने से परहेज करेगी। सूत्रों ने कहा कि मंत्रालयों में विभिन्न चरणों के विमर्श के बाद सरकार ने शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले मध्य आय वर्ग के लोगों को सीधी नकदी नहीं देने का निर्णय लिया है। अधिकारी ने कहा, ‘लोगों के हाथों में नकद रकम थमाने के विकल्प पर काफी चर्चा हुई थी, लेकिन अंत में इस नतीजे पर पहुंचा गया कि ऐसा करना बिल्कुल फायदेमंद नहीं होगा।’
इसके पीछे यह तर्क दिया गया कि जन धन खातों में जमा रकम और बैंकों में कुल जमा रकम में अप्रैल के बाद विशेष बदलाव नहीं हुआ है। इस बारे में एक अधिकरी ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘इससे सीधा संकेत मिल रहा है कि लोगों ने खर्च करना काफी कम कर दिया है।’
4 नवंबर तक प्रधानमंत्री जन धन योजना खातों में जमा रकम 1.31 लाख करोड़ रुपये थी। दूसरी तरफ अप्रैल में जमा करम 1.19 लाख करोड़ रुपये थी, जो इस बात का संकेत दे रहा है कि पिछले सात महीनों में इन खातों से रकम बहुत अधिक बाहर नहीं गई है। ऐसा समझा जा रहा है कि सरकार ने मध्य आय वर्ग के लोगों की मदद के लिए दूसरे विकल्प तलाशने पर जोर दिया है। कंज्यूमर ड््यूरेबल वस्तुओं पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कमी करने का भी प्रस्ताव आया था, लेकिन वस्तु एवं सेवा कर परिषद (जीएसटी काउंसिल) ने इस पर मुहर नहीं लगाई। ऐसे में चौथे चरण के प्रोत्सहान उपायों में इस आय वर्ग के लोगों को सस्ते ऋण की पेशकश की जा सकती है।
जहां तक संकटग्रस्त क्षेत्रों की बात है तो सरकार के राहत उपाय में इन्हें आपात ऋण की पेशकश की जाएगी। सरकार इन ऋणों को अपनी गारंटी देगी, लिहाजा इन क्षेत्रों को कुछ भी गिरवी रखने की जरूरत नहीं होगी। सरकार दबाव का सामना कर रहे कम से कम 12 से 13 क्षेत्रों को गिरवी मुक्त आपात ऋण देने की तैयारी कर रही है। इन क्षेत्रों में विमानन, आतिथ्य (होटल एवं पर्यटन), वाहन कल-पुर्जे, परिधान आदि शामिल हैं।
मुख्य आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने पिछले महीने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया था कि सरकार और राहत उपाय करने के लिए तैयार है। बकौल सान्याल, इन क्षेत्रों को मदद दिए बिना अर्थव्यवस्था को गति नहीं दी जा सकती है। उन्होंने कहा था, ‘कई ऐसे छोटे क्षेत्र हैं, जिनके लिए कुछ अलग कदम उठाए जाने की जरूरत है। उदाहरण के लिए आतिथ्य एक ऐसा ही क्षेत्र है, जिसे हम फिलहाल पूरी तरह नहीं खोल सकते, इसलिए इन्हें मदद की आवश्यकता है। जीएसटी से छूट प्रभावी साबित होता नहीं दिख रहा है इसलिए मदद देने के लिए कुछ दूसरे तरीके आजमाए जाएंगे।’
यह भी समझा जा रहा है कि सरकार एक विशेष योजना तैयार करने में जुटी है। इस योजना के तहत नई कंपनियों को कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) कोष में अंशदान के लिए कुछ प्रतिशत की सब्सिडी दी जाएगी। उन कंपनियों को भी कुछ शर्तों के साथ यह लाभ दिया जा सकता है, जो नए कर्मचारियों की भर्ती कर रही हैं। उदाहरण के लिए अगर किसी कर्मचारी पर कंपनी प्रति महीने 15,000 रुपये खर्च कर रही है वह सब्सिडी की सुविधा ले सकती है। हालांकि ये उपाय सरकार के पास उपलब्ध संसाधनों को ध्यान में रखकर ही किए जाएंगे और किसी तरह की अतिरिक्त उधारी से बचने की कोशिश की जाएगी। वित्त मंत्रालय साफ कर दिया है कि अतिरिक्त उपाय किए जाने की सूरत में भी 12 लाख करोड़ रुपये उधारी के लक्ष्य में कोई बदलाव नहीं होगा।

First Published - November 11, 2020 | 11:32 PM IST

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