सरकार को अपने आने वाले बजट में PLI (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) योजना के तहत ऐसे क्षेत्रों को वित्तीय लाभ देना चाहिए, जो अधिक नौकरियां पैदा कर सकते हैं। यह बात रविवार को Deloitte ने कही। इसमें मुख्य रूप से हस्तशिल्प और चमड़ा उद्योग आदि शामिल हैं।
इसके साथ ही, Deloitte ने सुझाव दिया कि मौजूदा PLI योजनाओं को उन क्षेत्रों में जारी रखा जाना चाहिए जहां सफलता मिली है, जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो और सेमीकंडक्टर्स आदि क्षेत्रों में।
सरकार ने 2021 में 14 क्षेत्रों के लिए PLI योजनाएं शुरू की थीं, जिनमें दूरसंचार, व्हाइट गुड्स, वस्त्र, चिकित्सा उपकरणों का निर्माण, ऑटोमोबाइल, विशेष इस्पात, खाद्य उत्पाद, उच्च दक्षता वाले सोलर पीवी मॉड्यूल, उन्नत रसायन सेल बैटरी, ड्रोन और फार्मा शामिल हैं। इन योजनाओं के लिए कुल ₹1.97 लाख करोड़ का बजट तय किया गया था।
Deloitte ने यह भी सुझाव दिया कि ग्लोबल लिक्विडिटी में सुधार के लिए (जब पश्चिमी केंद्रीय बैंक अपनी मौद्रिक नीतियों को आसान करेंगे), सरकार निवेश के आकार की सीमा को बढ़ा सकती है और प्रतिबंध हटा सकती है ताकि अधिक विदेशी निवेश आकर्षित किया जा सके।
Deloitte India की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा, “मल्टी-ब्रांड रिटेल और ई-कॉमर्स ऐसे कुछ क्षेत्र हैं जो इससे लाभान्वित हो सकते हैं।” उन्होंने आगे कहा कि एक बड़ी चुनौती मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट (सामान निर्यात) को पुनर्जीवित करना होगा, जो FY24 में 3 प्रतिशत तक घट चुका है।
इसमें आगे कहा गया कि 2030 तक 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार को एक रोडमैप तैयार करना होगा।
मजूमदार ने आगे कहा, “हमें उम्मीद है कि सरकार जल्द ही FTA (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) वार्ताओं को ओमान, पेरू, यूके, यूरोपीय संघ, चिली, दक्षिण अफ्रीकी कस्टम यूनियन और गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल के साथ पूरा करेगी।इससे वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच इन क्षेत्रों में भारत के निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है।”
बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद में FY26 के लिए वार्षिक बजट पेश करेंगी।