कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन और व्यवधान के कारण वित्त वर्ष 2020-21 के शुरुआती 11 महीनों के दौरान चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा कम होकर 7 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। निर्यात में दो अंकों की तेज बढ़ोतरी और आयात में संकुचन के कारण ऐसा हुआ है। आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल-फरवरी (2020-21) के दौरारान व्यापार घाटा कम होकर 39 अरब डॉलर होगया, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 46.8 अरब डॉलर और 2018-19 की समान अवधि में 50.1 डॉलर था।
बहरहाल स्टील कंपनियों की कहानी अलग है। देश के शीर्ष स्टील विनिर्माताओं ने 2020-21 की दूसरी तिमाही में पूरी क्षमता के साथ काम किया। उनकी बिक्री में निर्यात की हिस्सेदारी उल्लेखनीय होती है, खासकर यह चीन की मांग पर निर्भर होता है।
इस अवधि के दौरान भारत से चीन को निर्यात 19.2 प्रतिशथ बढ़कर 18.9 अरब डॉलर हो गया, जबकि देश के कुल निर्यात में 12.17 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। दरअसल चीन की निर्यात में हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है और यह 2015-16 के 3.44 प्रतिशत से बढ़कर 2020-21 में 7.23 प्रतिशत हो गई।
इस वित्त वर्ष के 11 महीनों के दौरान आयात में कुल 22.18 प्रतिशत की गिरावट आई है, वहीं चीन से आयात 6.44 प्रतिशत कम हुआ है। आत्मनिर्भर भारत पर जोर दिए जाने और चीन के उत्पादों पर बहुचर्चित प्रतिबंधों के बावजूद आयात में चीन की हिस्सेदारी बढ़ी है और वित्त वर्ष 21 में कुल आयात में इसकी हिस्सेदारी 17 प्रतिशत हो गई है, जो 2018-19 में 13.85 प्रतिशत थी। व्यापार घाटे में कमी की वजह कम आयात है, वहीं विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि पूंजीगत वस्तुओं की कम मांग और विनिर्माण गतिविधियां बहाल होने में देरी भी इसकी वजह है।
इंस्टीट्यूट आफ साउथ एशियन स्टडीज, नैशनल युनिवर्सिटी आफ सिंगापुर के सीनियर रिसर्च फेलो अमितेंदु पालित ने कहा, ‘चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा आंशिक रूप से कम आयात और आंशिक रूप से ज्यादा निर्यात की वजह से कम हुआ है। कम आयात की मुख्य वजह घरेलू उद्योगों की ओर से पूंजीगत वस्तुओं के आयात की मांग में कमी है। घरेलू विनिर्माण क्षेत्र के पटरी पर आने के साथ ही यह स्थिति बदल जाएगी। बहरहाल चीन को भारत के कृषि उत्पादों के निर्यात में बढ़ोतरी बेहतर संकेत है।’ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विश्वजीत धर ने कहा, ‘हम जहां चीन के साथ व्यापार असंतुलन की बात कर रहे हैं, ध्यान देने वाला एक अन्य महत्त्वपूर्ण मसला यह है कि भारत से चीन को निर्यात की जाने वाली सामग्री या तो कच्चा माल, इंडरमीडिएटरी उत्पाद या कम मूल्य के उत्पाद जैसे लौह अयस्क, सिल्क के धागे व अन्य हैं। कोविड के बाद चीन में 2020-21 की पहली तिमाही से रिकवरी शुरू हो गई।’