Moody’s on Indian Economy: भारत, अमेरिकी टैरिफ (US tariffs) और ग्लोबल ट्रेड बाधाओं के निगेटिव असर से निपटने के लिए अच्छी स्थिति में है। भारत के घरेलू ग्रोथ ड्राइवर्स और एक्सपोर्ट पर कम निर्भरता इकनॉमी को सहारा दे रही है। न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज रेटिंग्स (Moody’s Ratings) ने बुधवार को एक बयान में यह अनुमान जताया है।
रेटिंग एजेंसी ने बया में कहा कि निजी खपत को बढ़ावा देने, मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता का विस्तार करने और बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ाने की सरकारी पहल से कमजोर ग्लोबल डिमांड के कमजोर आउटलुक की भरपाई करने में मदद मिलेगी। महंगाई दर में कमी से ब्याज दरों में कटौती की संभावना बनती है, जिससे अर्थव्यवस्था को और ज्यादा बूस्ट मिलेगा। साथ ही बैंकिंग क्षेत्र में लिक्विडिटी से लेंडिंग आसान होगी।
मूडीज ने कहा, ‘‘भारत कई अन्य उभरते बाजारों की तुलना में अमेरिकी टैरिफ और ग्लोबल ट्रेड बाधाओं से निपटने में बेहतर स्थिति में है, जिसे मजबूत इंटरनल ग्रोथ फैक्टर्स, मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था और सामानों के ट्रेड पर कम निर्भरता से बल मिलता है।’’
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रेटिंग एजेंसी ने इस महीने की शुरुआत में साल 2025 के लिए भारत के अपने आर्थिक विकास दर (India GDP Growth) के अनुमानों को 6.7 फीसदी से घटाकर 6.3 फीसदी कर दिया था। इसके बावजूद, यह दर G-20 देशों में सबसे ज्यादा बनी रहेगी। अमेरिका के टैरिफ में बढ़ोतरी की घोषणा से पैदा हुए हालातों के बाद रेटिंग एजेंसी ने जीडीपी के अनुमान में बदलाव किया था।
मूडीज का कहना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव, विशेषकर मई की शुरुआत में हुए टकराव, पाकिस्तान की आर्थिक विकास दर (Pakistan GDP Growth) पर ज्यादा असर डालेंगे, जबकि भारत पर इसका सीमित प्रभाव होगा।
मूडीज ने कहा, “अगर घरेलू स्तर पर तनाव लगातार बना रहता है, तब भी हम भारत की आर्थिक गतिविधियों में बड़े पैमाने पर दिक्कत की उम्मीद नहीं करते हैं, क्योंकि भारत के पाकिस्तान के साथ आर्थिक संबंध बेहद सीमित हैं। इसके अलावा, भारत के वे राज्य जो ज्यादातर कृषि और औद्योगिक उत्पादन करते हैं, वे संघर्ष वाले क्षेत्रों से भौगोलिक रूप से दूर हैं।”
हालांकि, बढ़े हुए रक्षा खर्च से भारत की राजकोषीय स्थिति (fiscal strength) पर दबाव पड़ सकता है और राजकोषीय समेकन (fiscal consolidation) की गति धीमी हो सकती है।
मूडीज का कहना है कि भारत सरकार की ओर से किए जा रहे इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश GDP ग्रोथ को सपोर्ट देते हैं, वहीं पर्सनल इनकम टैक्स में कटौती से कंजम्प्शन में बढ़ोतरी होती है।
भारत का गूड्स ट्रेड पर सीमित निर्भरता और मजबूत सर्विस सेक्टर उसे अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ से काफी हद तक सुरक्षित रखते हैं। फिर भी, ऑटोमोबाइल सेक्टर जैसे क्षेत्र जो अमेरिका को कुछ हद तक निर्यात करते हैं, ग्लोबल ट्रेड में चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
बता दें, अप्रैल की शुरुआत में, ट्रम्प प्रशासन ने दुनियाभर के देशों के साथ जवाबी टैरिफ (Reciprocal Tariffs) का ऐलान किया। जिसे बाद में 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया। इसमें 10% का बेसिक टैरिफ बरकरार रखा गया है, कुछ क्षेत्रों को छूट दी गई है, जबकि इस्पात (steel) और एल्युमिनियम (aluminium) जैसे क्षेत्रों पर पहले से लगे हाई टैरिफ बने हुए हैं।