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India-Oman FTA: प्रस्तावित भारत-ओमान व्यापार समझौता अधर में लटका, उत्पाद पहुंच पर मतभेद बनी बाधा

भारत के चुनिंदा उत्पादों को बाजार में पहुंच देने की समीक्षा करने का अर्थ यह है कि भारत के संशोधित रुख के लिए अंतर मंत्रालयी परामर्श को फिर शुरू करना है।

Last Updated- November 18, 2024 | 11:19 AM IST
India-Oman FTA: Proposed India-Oman trade agreement stuck in limbo, differences over product access a hindrance प्रस्तावित भारत-ओमान व्यापार समझौता अधर में लटका, उत्पाद पहुंच पर मतभेद बनी बाधा

India-Oman FTA: भारत और ओमान के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) अटक गया है। इसका कारण यह है कि पश्चिम एशिया के इस देश ने चुनिंदा उत्पाद की भारत के बाजार में पहुंच की समीक्षा की मांग की है।सरकारी अधिकारियों ने बताया कि दोनों देशों के बीच इस साल मार्च में बातचीत पूरी हो गई थी। भारत के चुनिंदा उत्पादों को बाजार में पहुंच देने की समीक्षा करने का अर्थ यह है कि भारत के संशोधित रुख के लिए अंतर मंत्रालयी परामर्श को फिर शुरू करना है।

इस मामले के जानकार व्यक्ति ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘पहले ही अंतर मंत्रालयी स्वीकृति लिए जाने के बाद भारत फिर से बातचीत शुरू करने को तैयार नहीं है।’ नीति निर्माताओं में पूर्ववर्ती अनुभवों के आधार पर यह विचार तेजी से घर करने लगा है कि भारत को किसी भी मुक्त व्यापार समझौता पर हस्ताक्षर करने से पूर्व अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। भारत के हालिया समय में किए गए समझौतों में से एक वर्ष 2022 में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से किया गया समझौता है।

भारत-यूएई व्यापार समझौता लागू होने के बाद देश में महंगी धातुओं और कुछ खाद्य उत्पादों का आयात तेजी से बढ़ा है। भारत अब ओमान के मामले में अधिक सावधानी बरतना चाहता है। उपरोक्त जानकारी देने वाले सूत्र ने बताया कि छह सदस्यीय गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (जीसीसी) के सदस्य ओमान और यूएई दोनों हैं। अन्य व्यक्ति ने बताया, ‘अलग नजरिया यह है कि भारत के मुकाबले ओमान कहीं छोटा देश है। लिहाजा भारत के लिए व्यापार और लाभ में वृद्धि कहीं अधिक सीमित हो सकती है। परिणामस्वरूप भारत को व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले कहीं अधिक स्पष्ट होने की जरूरत है।’

मार्केट में पहुंच देने की बात की जाए तो भारत पर डाले जाने वाले दबावों में से एक पॉलिथीन और पॉलिप्रोपाइलीन की बाजार में अधिक पहुंच देना है। पॉलिथीन और पॉलिप्रोपाइलीन से बनने वाले उत्पादों से प्लास्टिक, चिकित्सा उपकरणों, इलेक्ट्रॉनिक और वाहन के कलपुर्जों का निर्माण होता है। भारत में पेट्रोकेमिकल्स के इन उत्पादों पर 7.5 प्रतिशत आयात शुल्क लगता है। यह पता चला है कि भारत पॉलिथीन और पॉलिप्रोपाइलीन के आयात पर शुल्क दर कोटा (टीआरक्यू) लगाने की तैयारी में है।

First Published - November 18, 2024 | 11:15 AM IST

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