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Indian household spending: खाना, कपड़े या मनोरंजन, जानिए भारतीय कहां खर्च कर रहे सबसे ज्यादा पैसा?

Indian household spending: नवीनतम उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण भारतीय परिवारों के खर्च पैटर्न पर जानकारी देता है और अर्थव्यवस्था में मांग का आकलन करने के लिए महत्वपूर्ण है।

Last Updated- February 25, 2024 | 4:40 PM IST
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Indian household spending: जनसंख्या के लिहाज से दुनिया के सबसे बड़े देश भारत में लोग भोजन पर कम और कपड़े तथा मनोरंजन इत्यादि पर ज्यादा पैसे खर्च कर रहे हैं। समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग ने शनिवार को जारी सांख्यिकी मंत्रालय की भारतीय परिवारों के खर्च से संबंधित एक रिपोर्ट के हवाले से यह जानकारी दी। इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय परिवारों का घरेलू खर्च पिछले 10 वर्षों में दोगुना से ज्यादा हो गया है।

भारतीय परिवार खाने पर कम, कपड़े और मनोरंजन पर कर रहे ज्यादा खर्च

सांख्यिकी मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त 2022 से जुलाई 2023 के बीच किए गए सर्वेक्षण में शहरी क्षेत्रों में औसत मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय बढ़कर अनुमानित 6,459 रुपये हो गया, जो 2011-12 में 2,630 रुपये था। इसी अवधि में ग्रामीण भारत में यह 1,430 रुपये से बढ़कर अनुमानित 3,773 रुपये हो गया।

सर्वेक्षण से पता चलता है कि भारतीय परिवार खाद्य पदार्थों पर प्रतिशत के रूप में कम खर्च कर रहे हैं जबकि कपड़े, टेलीविजन सेट और मनोरंजन जैसी विवेकाधीन वस्तुओं पर ज्यादा खर्च कर रहे है।

रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्रों में मासिक खपत में भोजन की हिस्सेदारी घटकर 46.4 फीसदी हो गई, जो 2011-12 में 53 फीसदी थी, जबकि गैर-खाद्य खपत 47 फीसदी से बढ़कर 53.6 फीसदी हो गई। शहरी क्षेत्रों में भोजन की हिस्सेदारी पहले के 42.6 फीसदी से घटकर 39.2 फीसदी हो गई, जबकि गैर-खाद्य हिस्सेदारी 57.4 फीसदी से बढ़कर 60.8 फीसदी हो गई।

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सर्वेक्षण भारतीय परिवारों के खर्च पैटर्न की देता है जानकारी

नवीनतम उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण भारतीय परिवारों के खर्च पैटर्न पर जानकारी देता है और अर्थव्यवस्था में मांग का आकलन करने के लिए महत्वपूर्ण है। इस डेटा का उपयोग सरकार द्वारा खुदरा महंगाई और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की गणना के लिए विचार की जाने वाली वस्तुओं को फिर से समायोजित करने के लिए किया जाएगा।

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने “डेटा गुणवत्ता के मुद्दों” के कारण 2017-2018 का सर्वेक्षण जारी नहीं किया। इस फैसले ने इस बात पर विवाद खड़ा कर दिया कि क्या प्रशासन आर्थिक डेटा छिपा रहा है।

First Published - February 25, 2024 | 4:40 PM IST

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