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चीनी उत्पादों से दूर रहे भारतीय

Last Updated- December 14, 2022 | 9:12 PM IST

विभिन्न तिमाहियों में चीन विरोधी अभियान चलने से भारत के ज्यादातर ग्राहकों ने चीन के बने उत्पादों से इस त्योहारी सीजन में दूरी बनाए रखी। हाल के एक सर्वे के मुताबिक 71 प्रतिशत स्थानीय ग्राहकों ने कोई चीनी उत्पाद नहीं खरीदा, जिन पर मेड इन चाइना लिखा हुआ था।
यह सर्वे लोकलसर्किल ने 2014 जिलों के 14,000 भारतीय ग्राहकों पर किया, जिनमें से सिर्फ 29 प्रतिशत ग्राहकों ने एक या एकसे ज्यादा चीन में बने उत्पाद की खरीद की। इसके अलावा 11 प्रतिशत ग्राहक खरीदारी करते समय इससे अनभिज्ञ थे जबकि 16 प्रतिशत ने जान बूझकर सामान खरीदे।
भारत में चीन से बने सामान का दबदबा बढ़ रहा है। स्मार्टफोन और इलेक्ट्रिक सामान से लेकर घर के सजावट के सामान 2000 दशक के मध्य से बड़ी मात्रा में बिक रहे हैं, जब चीन ने भारत के बाजार में सस्ते सामान भेजना शुरू किया था। ग्राहकों के मुताबिक उनके सस्ते और कीमत के मुताबिक बेहतर सामान आकर्षित करते हैं। इस साल चीन के सामान खरीदने वाले ग्राहकों में 75 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें मूल्य के मुताबिक सामान मिलता है और वे स्थानीय सामान की तुलना में बेहतर गुणवत्ता और अनूठे सामान देते हैं।
स्थानीय उत्पादों से चीन के माल की ओर पलायन कारोबारियों में भी देखा जा सकता है। देश के प्रमुख उद्योग संगठन कॉन्फेडरेशन आप आल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) के मुताबिक इस साल दीवाली मेंं चीन के विनिर्माताओं का अनुमानित नुकसान 40,000 करोड़ रुपये तक हो सकता है। इसमें कहा गया है, ‘कारोबारियों व ग्राहकों ने चीन को झटका दिया है। उन्हें बताया है कि इंडिया को हल्के में नहीं लिया जा सकता और भारत चीन के माल का पूरी तरह बहिष्कार कर सकता है। हम दिसंबर 2021 तक चीन से आयात घटाकर 1 लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य हासिल कर लेंगे।’
ज्यादातर ग्राहकों का कहना है कि भारत के विनिर्माताओं द्वारा तैयार किए गए उत्पाद खर्चीले होते हैं। त्योहार में इस्तेमाल होने वाली एलईडी लाइटिंग, मोमबत्तियां, प्लास्टिक एक बार में इस्तेमाल करने वाले सामान हैं। इसकी वजह से चीनी उत्पादों का आकर्षण बढ़ता है। बहरहाल चीन के बने मोबाइल हैंडसेट, एयर प्यूरीफायर, गजट, अप्लायंसेज भारत के उत्पादों की तुलना में बराबर या बेहतर गुणवत्ता के हैं।

First Published - November 16, 2020 | 11:47 PM IST

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