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एशिया में बढ़ रहा भारत का ईंधन निर्यात

यूरोप से मोटर ईंधन के कम आयात ऑर्डर और चीन से निर्यात घटने के कारण आया स्थिति में बदलाव

Last Updated- December 16, 2024 | 10:34 PM IST
Crude oil prices and transportation costs will increase due to US sanctions अमेरिकी प्रतिबंध से कच्चे तेल के दाम व ढुलाई लागत में होगी वृद्धि

लंदन स्थित कमोडिटी डेटा एनालिटिक्स प्रोवाइडर वोर्टेक्सा के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत ने हाल के महीनों में अपने मोटर ईंधन निर्यात को एशिया की ओर मोड़ दिया है। अगस्त और नवंबर के बीच भारत के मोटर ईंधन निर्यात में एशिया की हिस्सेदारी तीन गुने से अधिक बढ़कर 30 प्रतिशत हो गई है, जबकि इस दौरान यूरोप की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत से घटकर 8 प्रतिशत पर आ गई है।

पेट्रोकेमिकल्स के कुल निर्यात में मोटर ईंधन का निर्यात तीसरे स्थान पर है, जो ऑटोमोटिव डीजल और विमान ईंधन के बाद आता है। महामारी के बाद से इसके निर्यात में तेज बदलाव आया है। वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान 6.09 अरब डॉलर का माल विदेश भेजा गया, जो वित्त वर्ष 2024 की समान अवधि में हुए 6.9 अरब डॉलर निर्यात से 11.76 प्रतिशत कम है।

हालांकि फरवरी 2022 से अधिकांश निर्यात यूरोप को हुआ है, जब यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद दुनिया भर में कच्चे तेल और पेट्रोकेमिकल उत्पादों दोनों की आपूर्ति की स्थिति में बदलाव किया था। आंकड़ों से पता चलता है कि भारत के शिपमेंट में यूरोप की हिस्सेदारी लगातार एशिया की तुलना में उच्च बनी रही। 2 महीनों को छोड़ दें तो कम से कम जनवरी 2023 तक ऐसी स्थिति रही। लेकिन हाल के महीनों में यूरोप को होने वाले निर्यात में कमी आई है।

उद्योग से जुड़े लोगों का मानना है कि यूरोप को होने वाले निर्यात में आई कमी की वजह यूरोप के खरीदारों की ओर से कम मांग है। यह महाद्वीप युद्ध के बाद से रूस से मिलने वाले तेल के विकल्प तलाश रहा है, जिसके परिणाम दिख रहे हैं।
बढ़ा अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल

यूरोपियन कमीशन के मुताबिक 2024 की पहली तिमाही में ईयू ने 18.38 करोड़ टन ऊर्जा उत्पादों का आयात किया, जिसमें 2023 की समान तिमाही की तुलना में मूल्य के हिसाब से 26.4 प्रतिशत और मात्रा के हिसाब से 10.4 प्रतिशत की गिरावट आई है। ऊर्जा कुशलता के लिए उठाए गए कदमों से खपत घटाने में मदद मिली है, वहीं ईयू के बिजली उत्पादन में अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़कर 2023 में 44.7 प्रतिशत हो गई है, जो 2022 में 32.5 प्रतिशत थी।

वहीं दूसरी तरफ चीन के रिफाइनरों द्वारा निर्यात कम किए जाने से भी भारत को एशिया में निर्यात बढ़ाने में मदद मिली है। वोर्टेक्सा के आंकड़ों के मुताबिक, ‘बहरहाल उत्तर पूर्व एशिया से कम निर्यात से भारत के रिफाइनरों को एशिया में निर्यात बढ़ाने का मौका मिला है।’ वोर्टेक्सा जहाजों की आवाजाही पर नजर रखता है, जिससे आयात का अनुमान लगता है। चीन का मोटर ईंधन निर्यात हाल के महीनों में गिरा है।

अमेरिका बदलेगा स्थिति

बहरहाल यह अवसर जल्द ही खत्म हो सकता है, क्योंकि डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका से मोटर ईंधन का निर्यात बढ़ने की संभावना है। हालांकि चीन और भारत अपनी रिफाइनिंग क्षमता बढ़ा रहे हैं और अपना निर्यात बढ़ाया है, लेकिन अमेरिका मोटर ईंधन के निर्यात के क्षेत्र में अभी भी अग्रणी देश बना हुआ है, जिसकी वैश्विक निर्यात में हिस्सेदारी 16 प्रतिशत है।

2023 में अमेरिका से मोटर ईंधन निर्यात औसतन 9 लाख बैरल प्रतिदिन था। पिछले दशक में अमेरिका पेट्रोल का शुद्ध निर्यातक रहा है क्योंकि अमेरिका से रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात बढ़ा है। अमेरिका सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2022 और 2023 दोनों ही वर्षों में यह रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।

ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि वह तेल और गैस उद्योग से सभी उत्पाद श्रेणियों में निर्यात बढ़ाने का आह्वान करेंगे। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी ऐंड क्लीन एयर (सीआरईए) के आंकड़ों के मुताबिक यूक्रेन में रूस के हमले के पहले मोटर ईंधन के अलावा भारत से यूरोप में औसतन 1,54,000 बैरल प्रतिदिन डीजल और जेट ईंधन का आयात होता था।

First Published - December 16, 2024 | 10:34 PM IST

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