केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को घोषणा की थी कि देश का सेवा निर्यात वर्ष 2021-22 में 250 अरब डॉलर के स्तर को पार कर गया है, जिसमें पिछले साल के मुकाबले 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हालांकि सरकार ने सेवा निर्यात के लिए 240 अरब डॉलर का लक्ष्य निर्धारित किया था, लेकिन अंतिम तिमाही के जोर से सेवा निर्यात उछलकर 249.24 अरब डॉलर सुनिश्चित हो गया।
बिजनेस स्टैंडर्ड के मासिक निर्यात के विश्लेषण से पता चलता है कि दिसंबर तक औसत निर्यात 20 अरब डॉलर प्रति मास से कुछ कम रहा। औसत मासिक सेवा निर्यात पिछले तीन महीने में 23.5 अरब डॉलर रहा।
अन्य अर्थव्यवस्थाओं के साथ तुलना से पता चलता है कि सेवा निर्यात में भारत की वृद्धि उसी तरह नहीं रही, जैसी सरकार ने चाही होगी। डब्ल्यूटीओ के अनुमानों के विश्लेषण से संकेत मिलता है कि भारत की सेवा निर्यात वृद्धि कैलेंडर वर्ष 2021 में डल्यूटीओ के औसत के अनुरूप थी, लेकिन यह वैश्विक औसत से कम रही। पड़ोसी देश बांग्लादेश और पाकिस्तान ने सेवा निर्यात में 20 प्रतिशत से ज्यादा वृद्धि दर्ज की, जबकि चीन ने सेवा निर्यात में 40.5 प्रतिशत की तेजी दर्ज की।
भारत की निर्यात वृद्धि अफ्रीका और एशिया के औसत की तुलना में भी कम रही। हालांकि वैश्विक सेवा निर्यात में भारत की हिस्सेदारी में पिछले सात साल के दौरान इजाफा हुआ है। सेवा निर्यात में वृद्धि वस्तु-संबंधी सेवाओं में 40 प्रतिशत तक इजाफे और नौवहन जैसी परिवहन सेवाओं में 33.7 प्रतिशत वृद्धि से प्रेरित रही। वस्तु-संबंधी सेवाओं में अन्य क्षेत्रों की भौतिक इनपुट संबंधी विनिर्माण सेवाएं और रखरखाव तथा मरम्मत सेवाएं शामिल हैं। दूसरी ओर वित्त वर्ष 2021 के दौरान वर्ष 2020 के मुकाबले यात्रा में 44.2 प्रतिशत की गिरावट आई है। आयात के लिहाज से यह वृद्धि परिवहन सेवाओं से प्रेरित रही, जिसमें पिछले वर्ष की तीन तिमाही के मुकाबले वर्ष 2021 की पहली तीन तिमाही में 48.9 इजाफा हुआ।