भारत का सर्विस सेक्टर मई 2025 में भी मजबूती से आगे बढ़ा है। प्राइवेट सर्वे संस्था HSBC और S&P Global द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, मई में सर्विसेज़ परचेज़िंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) बढ़कर 58.8 पहुंच गया, जो अप्रैल में 58.7 था। इस रिपोर्ट से यह साफ होता है कि देश की सर्विस इंडस्ट्री लगातार 46वें महीने ग्रोथ की राह पर बनी हुई है, क्योंकि PMI का 50 से ऊपर रहना इस बात का संकेत होता है कि सेक्टर में विस्तार हो रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मई में भारतीय कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी मजबूत डिमांड देखने को मिली। यह विदेशी मांग पिछले 19 साल में दूसरी सबसे तेज़ रही। केवल मई और जून 2024 में ही इससे तेज़ ऑर्डर ग्रोथ दर्ज की गई थी। कंपनियों ने बताया कि उन्हें एशिया, यूरोप और नॉर्थ अमेरिका जैसे क्षेत्रों से बड़े पैमाने पर ऑर्डर मिले। यह बात इस ओर इशारा करती है कि भारतीय सेवाओं की वैश्विक स्तर पर स्वीकार्यता और मांग लगातार बढ़ रही है।
सर्वे के अनुसार, मई में कंपनियों ने बड़े पैमाने पर भर्तियां कीं। करीब 16% कंपनियों ने कहा कि उन्होंने स्टाफ बढ़ाया, जबकि सिर्फ 1% ने कर्मचारियों की संख्या में कटौती की। इसका असर यह हुआ कि नौकरी देने की दर इस सर्वे के इतिहास में सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई। यानी सर्विस सेक्टर में नौकरियों के अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं। हालांकि, नई भर्तियों, ओवरटाइम भुगतान और कच्चे माल (जैसे खाद्य तेल, मांस और अन्य सामग्री) की कीमतों में बढ़ोतरी से कंपनियों की लागत भी बढ़ी है। इससे उनके मुनाफे पर कुछ असर पड़ सकता है।
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सर्वे में कहा गया है कि नई सेल्स और क्लाइंट्स के साथ-साथ पुराने ग्राहकों से भी रिपीट ऑर्डर मिलने लगे हैं। कंपनियों ने विज्ञापन, बेहतर सेवाएं और ग्राहकों के साथ बने भरोसे को बिक्री में इजाफे की मुख्य वजह बताया। मई में मिले नए ऑर्डर फरवरी से अप्रैल जैसी रफ्तार में ही आए।
HSBC की प्रमुख भारत अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा कि मई का सर्विस PMI हाल के महीनों की तरह ही मजबूत बना हुआ है। उन्होंने कहा, “भारत की सेवा कंपनियों ने बढ़ती मांग के साथ तालमेल बिठाने के लिए बड़ी संख्या में कर्मचारियों की भर्ती की। इस वजह से एम्प्लॉयमेंट इंडेक्स इस सर्वे की अब तक की सबसे ऊंची रीडिंग पर पहुंच गया। हालांकि, इनपुट लागत और सेवाओं की कीमतों में भी बढ़ोतरी जारी रही है।”
इस मजबूत ग्रोथ के बीच एक हल्का झटका मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को लगा। मई 2025 में मैन्युफैक्चरिंग PMI घटकर 57.6 रह गया, जो अप्रैल में 58.2 था। इस गिरावट की वजह लागत में बढ़ोतरी, प्रतिस्पर्धा का दबाव और भारत-पाक तनाव को बताया गया है।