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प्रमुख देशों से भारत का व्यापार घटा

Last Updated- December 15, 2022 | 2:51 AM IST

जनवरी के अंत में वैश्विक महामारी पूरी दुनिया में नजर आने लगी, जिसके कारण वैश्विक कारोबार सुस्त पड़ गया। हाल के आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि इसका असर भारत के हर बड़े निर्यात बाजार पर पड़ा है।
2019-20 में दक्षिण एशिया, आसियान, खाड़ी देशों, चीन और उत्तर अमेरिका के साथ भारत का कारोबार घटा है। इसकी प्रमुख वजह यह है कि सभी बड़े सेग्मेंट जैसे इंजीनियरिंग के सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स और टेक्सटाइल के निर्यात ऑर्डर जनवरी से मार्च के बीच रद्द हुए हैं।
आसियान देशों के साथ भारत के निर्यात में लगातार बेहतर वृद्धि हो रही थी, जिसमें 10 प्रतिशत की गिरावट आई है। वहीं दक्षिण एशिया के साथ द्विपक्षीय कारोबार में सबसे ज्यादा गिरावट आई है, जिस बाजार से भारत को सबसे ज्यादा उम्मीद थी। इस क्षेत्र से आयात पिछले 3 साल से स्थिर रहा है, जबकि 2018-19 से चीन के शिपमेंट की आवाजाही के कारण कारोबार बढ़ा है, जैसा कि वियतनाम सरकार के आंकड़ों से पता चलता है। लेकिन हाल की महामारी और लद्दाख सीमा पर चीन के साथ भारत की खींचतान के कारण आवाजाही रुकी है।
सीमा पर हाल की हिंसा के पहले भी चीन के साथ कारोबार कम हुआ है क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक शिपमेंट कम होने के कारण  चीन के साथ कुल मिलाकर आयात घटा है।  वहीं दूसरी तरफ इस मामले से जुड़े लोगों के मुताबिक अमेरिका को किया जाने वाला निर्यात कम हुआ है। खासकर डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा अमेरिकी बाजार में भारत की शुल्क मुक्त पहुंच खत्म किए जाने के बाद कारोबार घटा है। भारत को जनरलाइज्य सिस्टम आफ प्रेफरेंस के तहत तरजीही कारोबार का मौका मिलता था, जिसे 2019 में अमेरिका ने खत्म कर दिया था।
अब अमेरिका ने संकेत दिए हैं कि भारत को प्रमुख आयातों पर शुल्क बढ़ाने की अपनी योजना को रोकने की जरूरत है।
गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल के देशों, जिसमें बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं, के साथ कारोबार आर्थिक मंदी की वजह से प्रभावित हुआ है। संयुक्त अरब अमीरात भारत का सबसे बड़ा निर्यात केंद्र रहा है, लेकिन प्रतिस्पर्धी देशों से सस्ता माल आने की वजह से भारत का निर्यात करीब खत्म हो गया है।
अगस्त के शुरुआती संकेतों से सुस्त रिकवरी का पता चलता है। भारत का निर्यात जुलाई में 10.2 प्रतिशत सिकुड़ा है,जो जून के 12.4 प्रतिशत गिरावट की तुलना में कम है। इस दौरान विदेशी मुद्रा कमाने वाले प्रमुख क्षेत्रों जैसे पेट्रोलियम, रत्न, इलेक्ट्रॉनिक्स और टेक्सटाइल का कारोबार कम रहा है। लेकिन कुल मिलाकर कारोबार के विशेषज्ञों ने कहा कि संकुचन जल्द ही खत्म हो जाएगा।
फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष शरद कुमार सराफ ने कहा कि सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका, यूरोपीय संघ, कनाडा, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से निर्यात ऑर्डर व पूछताछ आने से निर्यात क्षेत्र जुलाई 2019 की तुलना में करीब 90 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
लेकिन 2020-21 में कुल मिलाकर कारोबार सुस्त रहने की उम्मीद है। विश्व व्यापार संगठन के मुताबिक 2020 की पहली छमाही में ही कारोबार 14 प्रतिशत संकुचित हुआ है और 2020 में कुल मिलाकरक कारोबार 13 प्रतिशत कम रहने की संभावना है।

First Published - August 28, 2020 | 11:41 PM IST

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