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औद्योगिक निवेश प्रस्ताव 2020 में निचले स्तर पर

Last Updated- December 12, 2022 | 7:02 AM IST

महामारी वाले वर्ष 2020 में औद्योगिक प्रस्ताव रिकॉर्ड निम्न स्तर पर रहे। जून तिमाही के अंत तक लगाए गए लंबे लॉकडाउन के दौरान आर्थिक गतिविधियों के ठप पडऩे से मूल्य के संदर्भ में निवेश के विचार तीन वर्ष के निचले स्तर पर रहे। 2020 की अंतिम तिमाही के आंकड़ों से निवेश धारणा में कोई ठोस सुधार होने की उम्मीद समाप्त हो गई है। इस तिमाही में आए प्रस्ताव पिछले साल के मुकाबले बहुत कम हैं।
साल के दौरान औद्योगिक क्षेत्र में 1,441 निवेश प्रस्ताव आए जो 2019 में 2,385 निवेश प्रस्तावों की तुलना में 40 फीसदी कम है। यह जानकारी उद्योग संवद्र्घन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों से सामने आई है। इसके साथ ही यह 1998 के बाद से न्यूनतम आंकड़ा है। 1998 के पहले के आंकड़े उपलब्ध नहीं है।  
औद्योगिक क्षेत्र में प्रस्तावित निवेश 4.29 लाख करोड़ रुपये है जो पिछले वर्ष (2019) के 6.79 लख करोड़ रुपये से 36.8 फीसदी कम है। यह तीन वर्षों में सबसे कम है। 2017 में प्रस्तावित निवेश 3.95 लाख करोड़ रुपये का रहा था।
प्रस्तावित निवेश छह महीने से तीन साल तक की देरी से वास्तविक निवेश में बदल पाता है। इससे पता चलता है कि निवेश गतिविधि गति पकडऩे में थोड़ा वक्त लग सकता है और यह प्रमुख आर्थिक आंकड़ों में नजर आता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों से पता चलता है कि जुलाई से सितंबर तिमाही में औद्योगिक क्षमता उपयोगिता का समग्र स्तर 63.3 फीसदी रहा था जिससे पहले यह जून में समाप्त तिमाही में 47.3 फीसदी के ऐतिहासिक निम्र स्तर पर पहुंच गया था। ऐसा कोविड-19 महमारी से संबंधित प्रतिबंधों और लॉकडाउन के कारण से हुआ था।
इक्रा रेटिंग्स की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि एक बार जब भारत की क्षमता उपयोगिता 73 फीसदी के पार जाने लगेगी तभी जाकर निजी क्षेत्र की अधिक संख्या में क्षमता विस्तार की घोषणाएं होंगी। नायर ने कहा, ‘विगत 10 वर्षों में क्षमता उपयोगिता का उच्च स्तर 73 फीसदी और 75 फीसदी के बीच रहा है। उसी स्तर की हम प्रतीक्षा कर रहे हैं। आरबीआई की ओर से पिछली संख्या 63 फीसदी बताई गई थी अत: हम अपने लक्ष्य से थोड़ा ही पीछे हैं। निवेश का अधिक जोर पीएलआई की घोषणाओं वाले क्षेत्रों या उन क्षेत्रों पर रह सकता है जिनमें आपूर्ति शृंखला चीन से स्थानांतरित हो रही है।’
राष्ट्रीय सांख्‍य‍िकी कार्यालय द्वारा जारी दूसरे अग्रिम अनुमानों के मुताबिक भारत का सकल घरेलू उत्पाद 2020-21 में 8 फीसदी घट सकता है जो पहले 7.7 फीसदी अनुमानित था।
प्रस्तावित निवेश निवेशकों की ओर से दायर औद्योगिक उद्यमियों के ज्ञापन और औद्योगिक लाइसेंसों तथा डीपीआईआईटी की ओर से जारी किए गए आशय पत्रों पर आधारित होते हैं।
कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा और छत्तीसगढ़ शीर्ष निवेश आकर्षणों के रूप में उभरे हैं।
पिछले वर्ष के प्रस्तावित निवेश में गुजरात की हिस्सेदारी आधी रही थी जबकि इस वर्ष देश में हुए कुल घरेलू प्रस्तावित निवेशों में इसकी हिस्सेदारी महज 11 फीसदी है। इस बीच निवेश प्रयोजनों में कर्नाटक की हिस्सेदारी 40 फीसदी है।

First Published - March 14, 2021 | 11:25 PM IST

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