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जनवरी में औद्योगिक उत्पादन 1.3 प्रतिशत बढ़ा

Last Updated- December 11, 2022 | 8:47 PM IST

भारत का औद्योगिक उत्पादन जनवरी 2022 में एक अंक के निचले स्तर पर बना रहा। आज राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर जारी आंकड़ों से पता चलता है कि जनवरी में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) महज 1.3 प्रतिशत बढ़ा है, जो पहले के महीने में 0.7 प्रतिशत था। यह वृद्धि मुख्य रूप से खनन और विनिर्माण क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन की वजह से हुई है।
    सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2021 में खनन क्षेत्र में 2.4 प्रतिशत की दर्ज की गई गिरावट के मुकाबले जनवरी 2022 में 2.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई। विनिर्माण क्षेत्र में जनवरी 2022 के दौरान 1.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि एक साल पहले इसी महीने इसमें 0.9 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
हालांकि बिजली उत्पादन में जनवरी 2022 में 0.9 प्रतिशत की गिरावट आई जबकि जनवरी 2021 में 5.5 प्रतिशत का विस्तार हुआ था। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जनवरी अवधि में, आईआईपी की वृद्धि दर 13.7 प्रतिशत रही, जबकि वर्ष 2020-21 की समान अवधि में इसमें 12 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
आंकड़ों के मुताबिक पूंजीगत वस्तु खंड 1.4 प्रतिशत घटा जबकि पिछले साल समान अवधि में इसमें नौ प्रतिशत की भारी गिरावट हुई थी।
उपभोक्ता वस्तु खंड में भी सालाना आधार पर 3.3 प्रतिशत की गिरावट हुई। हालांकि, प्राथमिक वस्तु खंड, जिसकी 34 प्रतिशत हिस्सेदारी सूचकांक में है, 1.6 प्रतिशत बढ़ा।
इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च में प्रधान अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा कि भू-राजनीतिक स्थिति अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव कर सकता है, ऐसे में औद्योगिक रिकवरी के लिए और ज्यादा नीतिगत समर्थन की जरूरत होगी। उन्होंने कहा- इसे देखते हुए इंडिया रेटिंग्स को उम्मीद है कि आईआईपी वृद्धि निकट के हिसाब से एकल अंक मेंं कम बनी रहेगी और पक्ष में आधार का असर होने के कारण ऐसा होगा।
सिन्हा ने कहा कि लगातार 4 महीने तक उपभोक्ता वस्तुओं के साथ पूंजीगत वस्तुओं में नकारात्मक वृद्धि संकेत देता है कि न तो खपत मांग है न ही निवेश की मांग में कोई सकारात्मक बदलाव है। उन्होंने कहा- इंडिया रेटिंग्स ऐंंड रिसर्च का मानना है कि जिंसों के दाम ज्यादा होने, खासकर कच्चे तेल की कीमत अधिक होने से आगे खपत और  मांग ज्यादा कमजोर पड़ सकती है और निजी कॉर्पोरेट निवेश चक्र का बहुप्रतीक्षित इंतजार जोखिम में पड़ सकता है।
कोविड महामारी के चलते कई महीनों तक गिरावट के बाद आईआईपी मार्च 2021 से सकारात्मक बना हुआ है।
एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग ने बुधवार को चेतावनी दी ती कि तेल के बढ़ते दाम की वजह से आर्थिक वृद्धि कमजोर पड़ सकती है और इससे चालू खाते के घाटे में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो सकती है क्योंकि भारत ऊर्जा के आयात पर व्यापक तौर पर निर्भर है।
रेटिंग एजेंसी ने वित्त वर्ष 2023 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर को 7.8 प्रतिशत पर बहाल रखा है। इसमें कहा गया है कि महंगाई की दर ज्यादा होने, कमजोर मांग और रूस यूक्रेन के बीच युद्ध से उपजी अनिश्चितता के कारण आर्थिक और वित्तीय रिकवरी सुस्त पड़ सकती है और यह तमाम देशों पहले के अनुमान से कम रह सकती है।
एसऐंडपी ने ब्रेंट क्रूड की औसत कीमत 2022 के लिए बदलकर औसत 85 डॉलर प्रति बैरल कर दिया है, जबकि पहले 75 डॉलर प्रति बैरल रहने का अनुमान लगाया गया था।
इक्रा लिमिटेड में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि तीसरी लहर कमजोर पडऩे के बाद प्रतिबंध कम होने के बावजूद उच्च तीब्रता वाले संकेतकों से फरवरी में मिली जुली धारणा की जानकारी मिलती है। उन्होंने कहा- विनिर्माण बहुत ज्यादा बढऩे की संभावना नहीं है, खासकर वाहन क्षेत्र का प्रदर्शन कमजोर रहा है। बिजली की मांग में मामूली बढ़ोतरी और कोल इंडिया लिमिटेड के सालाना प्रदर्शन में गिरावट को देखते हुए हम उम्मीद करते हैं कि फरवरी में आईआईपी वृद्धि 2 प्रतिशत से नीचे बनी रहेगी।

First Published - March 11, 2022 | 11:52 PM IST

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